कोरबा: रोजगार कार्यालय से युवा अब दूर हो रहे हैं. जिन उद्देश्यों लिए रोजगार कार्यालय की स्थापना की गई थी, अब वही सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. युवा रोजगार कार्यालयों से दूर भाग रहे हैं. कारण साफ है कि इसका युवाओं को कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है.
ना तो रोजगार कार्यालय युवाओं को रोजगार ही दिला पा रहे हैं, ना ही स्वरोजगार प्राप्त करने के लिए ही व्यापक पैमाने पर यहां कोई इंतजाम है. जिसके कारण महज औपचारिकता ही साबित हो रहे हैं. हर दिन सैकड़ों युवा रोजगार कार्यालय में आकर नौकरी की उम्मीद में अपना पंजीयन कराते हैं, लेकिन उन्हें नाउम्मीद होकर ही लौटना पड़ रहा है.
कुछ साल पहले रोजगार कार्यालय ने युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की थी. इसके लिए जिले में संचालित लाइवलीहुड कॉलेज के माध्यम से रोजगार मूलक कोर्स की शुरूआत हुई. ट्रेनिंग के बाद मोबाइल मैकेनिक, इलेक्ट्रिकल, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई और हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट जैसी जरूरत वाली कंपनियों में युवाओं को रोजगार दिलाने का प्रयास था. कुछ युवा ट्रेनिंग प्राप्त कर स्वरोजगार स्थापित करने की दिशा में भी बढ़ रहे थे, लेकिन कोरोना काल ने युवाओं के स्वरोजगार पर भी ग्रहण लगा दिया है. सभी तरह की ट्रेनिंग फिलहाल बंद हैं. विभाग को सरकार के अगले निर्देशों का इंतजार है. जिससे वह कम से कम ट्रेनिंग फिर से शुरू कर सकें.
2020 में महज 4600 युवाओं ने ही कराया पंजीयन नवीनीकृत
कोरोना काल में रोजगार कार्यालय से पंजीयन कराने की प्रक्रिया भी काफी धीमी हो गई है. युवा अपना पंजीयन नवीनीकरण कराने ही नहीं आ रहे हैं. यह संख्या बेहद घटी है. 2019 में 9 हजार 774 युवाओं ने रोजगार कार्यालय में अपना पंजीयन का नवीनीकरण कराया था. जबकि 2020 में 1 जनवरी से 30 नवंबर 2020 की स्थिति में सिर्फ 4 हजार 667 युवाओं ने पंजीयन का नवीनीकरण कराया है.
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