कोरबा: कोरबा शहर से लगे सीतामणी क्षेत्र में बुधवार सुबह हसदेव नदी से निकली बाईं नहर का तटबंध टूट गया. तटबंध के टूटते ही पानी सीधे इमलीडुग्गू सहित 3-4 बस्तियों में घुस गया. लगभग 50 घरों में 3 से 4 फीट तक पानी प्रवेश कर गया. इससे मोहल्ले में अफरा-तफरी मच गई. लेकिन इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ. लोगों के घरों का सामान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. तीन से चार मोहल्ले बुरी तरह से इस आपदा से प्रभावित हुए (embankment of canal that came out of Hasdeo river in Korba broke ) हैं. निचली बस्तियों में बाढ़ जैसे हालात हैं. प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है. बचाव कार्य जारी है.
लोगों में घरों में भरा पानी:दरअसल, हसदेव नदी के बायें तट नहर सीतामणी क्षेत्र से गुजरती है. यह जांजगीर जिले तक गई हुई है. इससे किसानों के खेतों की सिंचाई होती है. नहर से जब पानी छोड़ा जाता है तब यह सिंचाई के काम आती है. बरसात कम होने के कारण भी नहरों से पानी लगातार छोड़ा जा रहा था. इसी दौरान नहर में पानी जब लबालब भरा हुआ था, तब बुधवार की सुबह नहर के कमजोर तटबंध टूट गये. जिसके कारण जिस पुल पर नहर निर्मित है, ठीक इसी स्थान पर नहर का बेस पूरी तरह से धराशायी हो गया. तटबंध के इलाके भी क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिसके कारण पानी ऊपर से न जाकर नीचे एक नाले में डायवर्ट हो गया है. यहीं से पानी बस्तियों में प्रवेश कर गया. जिससे पूरे मोहल्ले में सुबह 6:30 बजे से ही अफरा-तफरी का माहौल है. पानी लगभग 3 घंटे के लिए लोगों के घरों में भरा रहा.इसके बाद पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हुआ.
मंगलवार को छोड़ा गया था 2737 क्यूसेक पानी :बारिश कम होने के कारण इन्हीं नहरों के जरिए सिंचाई का पानी किसानों को दिया जाता है. 1 दिन पहले इस नदी से 2737 क्यूसेक पानी नहर में छोड़ा गया था, जिसके कारण नहर पूरी तरह से लबालब थी. पानी तीव्र गति से प्रवाहित हो रहा था. इसी दौरान सुबह नहर का तटबंध टूट गया, जिससे इमलीडुग्गू सहित खंडाला मोहल्ला, भैयालाल गली सहित 3 से 4 मोहल्लों में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए हैं.
नहर के पानी को तत्काल नहीं किया जा सकता बंद:कोरबा एक औद्यौगिक जिला है, इन्हीं नहरों के माध्यम से पानी पावर प्लांट को भी दिया जाता है. बाईपास कैनाल के माध्यम से पानी सिंचाई के लिए जाता है जबकि पावर कैनाल से बिजली उत्पादन के लिए पवार प्लांटों को पानी दिया जाता है. आगे जाकर या दोनों नहर एक में ही मिल जाते हैं. लेकिन पावर कैनाल का कंट्रोल पावर प्लांटों के पास होता है. इसलिए इसमें पानी का प्रवाह तत्काल नहीं रोका जा सकता. गेट बंद करने में कुछ समय लग जाता है. जब तक गेट बंद किया जाता, तब तक पानी पूरी तरह से लोगों को घर तक पहुंच चुका था. तकनीकी कारणों से नहर के गेट को तत्काल बंद करने में देरी होने के कारण भी लोगों के घरों में ज्यादा देर तक पानी भरा रहा.