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Elephant on National Highway : कोरबा के कटघोरा नेशनल हाईवे पर हाथियों का उत्पात, लोगों में दहशत

कटघोरा अंबिकापुर नेशनल हाईवे 130 पर 2 से 3 घंटे तक हाथियों का दल डटा रहा. हाथी जंगल से निकलकर हाईवे तक आ गए. हाथियों के कारण गांव वालों में अब दहशत पैदा हो गई है. तो वहीं वन विभाग भी हाथियों को खदेड़ने के लिए कोशिश कर रहा है.korba latest news

Elephant on National Highway
कटघोरा नेशनल हाईवे पर हाथियों का उत्पात

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Published : Feb 28, 2023, 3:57 PM IST

कटघोरा नेशनल हाईवे पर हाथियों का उत्पात

कोरबा :बीते कुछ समय से कोरबा जिले में जंगल से निकलकर हाथी शहरों की ओर कूच कर रहे हैं. मंगलवार को भी इस 17 हाथियों का एक दल कटघोरा अंबिकापुर नेशनल हाईवे 130 पर आ गया. गांव कापा नवापारा के करीब मुख्य सड़क पर हाथियों का दल सड़क पर ही विचरण करता रहा. इसके कारण घंटों हाईवे का आवागमन बाधित रहा. तो वहीं आम लोगों में भय का माहौल बन गया. वन विभाग के कर्मचारी भी हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास कर रहे हैं.


45 हाथियों का दल बना सिरदर्द :17 हाथियों का दल कटघोरा वनमंडल के एतमानगर रेंज में गांव कापानवापारा के समीप मौजूद है. बीते कुछ समय से कटघोरा वनमंडल हाथियों के रहवास का केंद्र बिंदु बन गया है. वर्तमान समय में भी कटघोरा वन मंडल के अलग-अलग इलाकों में 45 हाथी मौजूद हैं. जो छोटे-छोटे दलों में बंटे हुए हैं. इन हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीणों का सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. हाथी खेत में लगा धान चट कर जाते हैं. तो कभी लोगों पर भी हमला कर देते हैं. ऐसे में हाथियों की मौजूदगी में ग्रामीणों की सुरक्षा और इनका रिहायशी क्षेत्र में प्रवेश रोकना वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है.


जंगल की तरफ ले जाने का कर रहे प्रयास :इस विषय में कटघोरा वनमंडल की डीएफओ प्रेमलता यादव ने बताया कि "17 हाथियों का एक दल कापानवापारा के समीप नेशनल हाईवे पर आ गया था. इन हाथियों को वापस जंगल की ओर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है. लोगों से भी हाथियों से दूर रहने की अपील की जा रही है. वन विभाग की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है".

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वनविभाग के दावे फेल : कोरबा कटघोरा वन परिक्षेत्र में हाथियों को लेकर हर साल वन विभाग बड़े बड़े दावे करता है.लेकिन सारे दावे खोखले साबित हो जाते हैं. हाथी हर बार भोजन की तलाश में जंगल से बाहर आते हैं और हाथियों के निशाने पर होते हैं ग्रामीणों के खेत और घर.लिहाजा कई बार ग्रामीणों को अपने घरों के साथ अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. हाथियों से निपटने के लिए बेहतर प्लानिंग की जरुरत है.जो दिखाई नहीं दे रही है.

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