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उपभोक्ताओं ने नहीं चुकाया 65 करोड़ का बिजली बिल, विभाग ने मांगी पुलिस से मदद - अवैध कनेक्शन जोड़ रहे उपभोक्ता

बकाया बिजली बिल की वसूली के लिए विभाग पूरा जोर लगा रहा है, लेकिन बावजूद इसके वसूली नहीं हो पा रही है. बिजली बिल की वसूली न होने से तंग आकर बिजली विभाग ने एक लाख रुपए से अधिक बकाया राशि वाले 20 बड़े बकायेदारों के नाम एडिशनल एसपी को सौंप दिए हैं.

बिजली बिल नहीं चुका रहे उपभोक्ता

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Published : Nov 22, 2019, 3:27 PM IST

कोरबा:बिजली बिल का बकाया विभाग के लिए सिरदर्द बन गया है. वर्तमान स्थिति की बात करें तो सिर्फ कोरबा शहर के 3 जोन में 65 करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है.

बकाया बिजली बिल की वसूली के लिए विभाग पूरा जोर लगा रहा है, बावजूद इसके वसूली नहीं हो पा रही है. बिजली बिल की वसूली न होने से तंग आकर बिजली विभाग ने एक लाख रुपए से अधिक बकाया राशि वाले 20 बड़े बकायेदारों के नाम एडिशनल एसपी को सौंप दिए हैं. पत्र लिखकर बिजली विभाग ने पुलिस को इन बकायेदारों के खिलाफ FIR दर्ज करने का अनुरोध किया है.

अवैध कनेक्शन जोड़ रहे उपभोक्ता
शहर के दर्री, पाड़ीमार और तुलसी नगर तीनों जोन को मिलाकर कुल 1 लाख उपभोक्ता हैं. ऐसे उपभोक्ता जो बिजली बिल नहीं चुका रहे हैं, उनके कनेक्शन डिस्कनेक्ट भी किए जा रहे हैं. विभाग के अफसरों के जाते ही वो अवैध तरीके से कनेक्शन जोड़ लेते हैं.

विभाग ने दर्ज कराया केस
ऐसे लोगों के खिलाफ बिजली चोरी का केस भी विभाग की ओर से दर्ज कराया जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि, प्रदेश में बिजली बिल हाफ योजना लागू होने के बाद भी, योजना का फायदा लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं.

सरकारी विभागों ने भी नहीं चुकाया बिल
बिजली का बिल चुकाने के मामले में निजी उपभोक्ता ही नहीं सरकारी विभाग भी फिसड्डी साबित हुए हैं. सृष्टि नर्सिंग होम सहित शिक्षा, सिंचाई जैसे कई ऐसे विभागीय कनेक्शन हैं. जिन्होंने बिजली बिल नहीं चुकाया है, ऐसे सरकारी विभागों पर बिजली विभाग का लगभग 2 करोड रुपए बकाया है.

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उपभोक्ता काट रहे दफ्तरों के चक्कर
कई उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जिनके बिजली बिल में गलतियां हैं. इस गलती के कारण उन्हें अनाप-शनाप बिजली बिल विभाग विभाग की ओर से भेजा जाता है, जिसके कारण उपभोक्ता बिल में सुधार के लिए विभाग के चक्कर काटते रहते हैं. विभाग नियमित तौर पर मीटर रीडिंग करने में भी असफल रहा है. बिजली बिल चुकाने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है.

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