कोरबा : शादियों के सीजन में खासतौर पर आदिवासी और ग्रामीण अंचलों में बाल विवाह के मामले दिख ही जाते हैं. इसे अगर एकजुट होकर रोका नहीं गया तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं. बात अगर बीते साल की ही करें तो कोरबा (child marriage in korba) में बाल विवाह के 14 मामले महिला एवं बाल विभाग के सामने आए थे. इनमें 10 बाल विवाह सफलतापूर्वक रुकवा दिये गए थे. जबकि चार मामलों में लड़कियों के बालिग होने के कारण उनकी शादी हो गई थी. विभाग की मानें तो अब बेटियों में जागरूकता आई है. कुछ मामले ऐसे भी आए, जिनमें बच्चियों ने खुद अधिकारियों को फोन किया और कहा कि माता-पिता जबरदस्ती शादी करा रहे हैं. जबकि वह पढ़ाई करना चाहती हैं.
पिछले साल 14, अभी तक आया एक कॉल
बाल विवाह रोकने का दायित्व महिला एवं बाल विकास के बाल संरक्षण विभाग का है. इसके लिए एक संयुक्त टीम बनाई जाती है. इसमें ब्लॉक लेवल के अधिकारियों के साथ स्थानीय पुलिस की सहायता ली जाती है. जैसे ही महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों को विवाह की सूचना मिलती है, वह मौके पर पहुंच जाते हैं. माता-पिता से एफिडेविट पर साइन कराया जाता है कि वह बालिग होने के पहले अपने बच्चों की शादी नहीं करेंगे. फिर शादी रोक दी जाती है.
जब दुल्हन ने खुद फोन कर रुकवा दी अपनी शादी...
पहले बाल विवाह के अधिक मामले सामने आते थे. अब इसमें गिरावट दर्ज की गई है. कुछ मामले तो ऐसे थे, जिसमें नाबालिग बच्चियों ने अधिकारियों को खुद फोन किया. बच्चियों ने विभाग के अधिकारियों को बताया कि उनकी उम्र अभी 18 वर्ष से काफी कम है. बावजूद इसके उनकी मर्जी के खिलाफ शादी कराई जा रही है. जबकि वह अभी पढ़ाई करना चाहती हैं. ऐसे मामलों में सक्रियता दिखाते हुए विभाग ने शादियां रुकवाई थीं. ऐसे ही एक मामले में एक दुल्हन ने शादी के मंडप से ही विभाग को फोन कर दिया और अपनी शादी रुकवा ली.
1098 पर दे सकते हैं सूचना
ऐसे मामले में अगर बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कत हो रही हो तो वह इसकी शिकायत चाइल्ड लाइन के नंबर 1098 पर कॉल कर सकते हैं. बाल विवाह की शिकायत भी इसी नंबर पर की जा सकती है. सूचना के तत्काल बाद स्थानीय अधिकारी टीम बनाकर समुचित कार्रवाई करते हैं.
प्रतापपुर में हाथियों की दहशत : गजराज का तांडव ऐसा कि यहां कोई नहीं करना चाहता बहन-बेटियों की शादी