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EXCLUSIVE: कोरबा में पैक हाउस योजना से भर रही अफसरों की तिजोरी, कर रहे करोड़ों का गोलमाल ! - How much are the farmers benefiting from the pack house scheme

कोरबा में उद्यानिकी विभाग के अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है. आरोप है कि अपनी तिजोरी भरने के लिए यहां के अफसरों ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन का स्वरूप ही बदल डाला है. देखिए ETV भारत की खास रिपोर्ट.

Corruption happening in National Horticulture Missions Pack House Scheme in Korba
कोरबा में पैक हाउस योजना से भरी रही अफसरों की तिजोरी

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Published : Nov 25, 2020, 12:37 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 2:45 PM IST

कोरबा:राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों के विकास और उनके उत्थान के लिए संचालित पैक हाउस योजना अफसरों और ठेकेदारों के लिए कमाई का एक अच्छा जरिया बन चुकी है. ETV भारत की पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस योजना के जरिए अधिकारी हर साल करोड़ों रुपयों का चूना सरकार को लगा रहे हैं.

पैक हाउस योजना में भारी भ्रष्टाचार

किसानों को पैक हाउस निर्माण के लिए 4 लाख रुपये खर्च करने होते हैं. जिसके बाद भौतिक सत्यापन कर सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में 2 लाख रुपये की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाती है, लेकिन इस योजना में बंदरबांट इस कदर हावी है कि जो काम सबसे आखिरी में होना चाहिए वो सबसे पहले पूरा कर दिया जा रहा है.

सबसे पहले समझिए पैक हाउस क्या है ?

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत राज्य में उद्यानिकी विभाग की तरफ से किसानों को बागवानी के लिए पैक हाउस योजना का लाभ दिया जा रहा है. पैक हाउस बनवाने के लिए किसान के पास कम से कम 1 हेक्टेयर खेत होना चाहिए. जहां किसान सब्जी उगाने की तैयारी और इसे नर्सरी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. जिसे नियमानुसार पक्का निर्माण करके दिया जाना चाहिए. कई मामलों में यह नीले रंग के टिन से भी निर्मित होते हैं.

कोरबा उद्यानिकी विभाग

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योजना के तहत पहले निर्माण फिर खाते में राशि

किसान को पैक हाउस योजना का लाभ लेने के लिए विभाग को सूचना देकर अपने खेत में मिट्टी, गिट्टी और अन्य निर्माण कार्य सहित जमीन को समतल कर निर्माण कार्य पूरा करना होता है. जिसके बाद इंजीनियर इसे सत्यापित कर विभाग को बिल पेश करता है. किसान की तरफ से निर्माण पूरा होने के बाद 4 लाख का बिल दर्शाने के बाद उद्यानिकी विभाग के फील्ड ऑफिसर जिन्हें उद्यान अधीक्षक कहा जाता है, वह पैक हाउस का भौतिक सत्यापन करते हैं. सब कुछ ठीक होने पर किसान की खर्च की गई राशि का 50 प्रतिशत यानि 2 लाख रुपये की राशि सरकार की तरफ से अनुदान के तौर पर सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.

नीली शीट से बना पैक हाउस

भ्रष्ट अफसरों ने बदला योजना का स्वरूप

योजना का उद्देश्य ये है कि किसान अपने खेत में सब्जी की बेहतर पैदावार के लिए नर्सरी की जरूरतों को पूरा कर सकें, लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधिकारी, ठेकेदारों से सांठगांठ कर अपने मनमुताबिक योजना चला रहे हैं. सरकार की आंखों में धूल झोंककर उद्यानिकी विभाग के अफसर पैक निर्माण से पहले ही 2 लाख रुपये किसानों के खाते में ट्रांसफर करते हैं. जिसके बाद ठेकेदारों को विभाग से संबंधित किसानों की सूची मिल जाती है और ठेकेदार किसानों के पास पैक हाउस निर्माण के लिए पहुंच जाते हैं. भोले-भाले किसान भी खाते में पैक हाउस के नाम से आई पूरी राशि निकाल कर ठेकेदार को दे देते हैं. ठेकेदार अपने मन मुताबिक पैक हाउस बना कर खड़ा कर देते हैं.

कोरबा में पैक हाउस का हाल

जानिए कैसे होता है पूरा गोलमाल ?

पैक हाउस योजना का लाभ पाने के लिए अफसर एक सुनियोजित रैकेट चला रहे हैं, जिसके तहत सबसे पहले किसानों से संपर्क कर उनसे सभी जरूरी कागजात एकत्र किए जाते हैं. प्रकरण तैयार किया जाता है और सरकार की आंखों में धूल झोंककर सबसे पहले 2 लाख रुपये की राशि किसान के खाते में हस्तांतरित कर दी जाती है. जैसे ही राशि किसान के खाते में जाती है, इसके बाद ठेकेदार की भूमिका यहां से शुरू हो जाती है. विभाग ने जिस ठेकेदार से सांठगांठ किया है उसे पैक हाउस योजना के तहत लाभ लेने वाले किसानों की सूची प्रदान कर दी जाती है. ठेकेदार किसानों के पते पर पहुंचते हैं और राशि लेकर मापदंडों को दरकिनार कर जैसे-तैसे एक नीले रंग की लोहे की पतली चादर वाला ढांचा खड़ा कर किसानों को सौंप देते है.

अधूरा पैक हाउस

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पैक हाउस का निर्माण भी आधा-अधूरा

ETV भारत की टीम जब पैक हाउस का निरीक्षण करने खेतों में पहुंची तो वहां भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. ठेकेदार नीली शीट वाले जो पैक हाउस बनाकर किसानों को दे रहे है वह भी अधूरे है. ग्राम मुढुनारा के किसान टिकाराम राठिया और बलराम प्रसाद शर्मा ने बताया कि उनके खाते में 2 लाख रुपये शासन की ओर से डाले गए थे. जिसके बाद ही निर्माण शुरू हुआ. किसानों का कहना है कि जमीन को समतल किए बिना ही ढांचा तैयार कर दिया गया है, जो किसी काम का नहीं रह गया है. जानकारों की माने तो नीली शीट वाले पैक हाउस की लागत 50 से 60 हजार रुपये ही होती है, जबकि ठेकेदार किसानों के खाते में आए पूरे 2 लाख रुपये उनसे ले रहा है. किसानों का कहना है कि विभाग की तरफ से उन्हें बताया गया था कि संबंधित ठेकेदार ही उनके पैक हाउस का निर्माण पूरा करेंगे.

पैक हाउस योजना के तहत बागवानी

अधिकारी खुद कह रहे हैं जेएम इंटरप्राइजेज ने किया काम
वित्तीय वर्ष 2019-20 में जिले के 50 किसानों को पैक हाउस योजना का लाभ दिया गया है. उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक लखन रात्रे खुद ही इसकी जानकारी दे रहे हैं. ETV भारत से चर्चा में उन्होंने इस बात का खुलासा किया. जब उनसे ये पूछा गया कि सभी 50 किसानों ने एक ही फर्म से किस तरह संपर्क किया तो साहब गोलमोल जवाब देने लगे. उन्होंने कहा कि इसका जवाब खुद किसान ही दे सकते है. रात्रे का कहना है कि किसान स्वतंत्र है और जहां से भी चाहे निर्माण करा सकते हैं.

छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए पैक हाउस योजना शुरू की गई, लेकिन ये योजना भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट चढ़ जा रही है.

Last Updated : Nov 25, 2020, 2:45 PM IST

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