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EXCLUSIVE: कोरबा के श्मशान घाट में टूट रहे कोरोना प्रोटोकॉल - Cremation responsibility as per rules

कोरोना से मौत के बाद मुक्तिधाम में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शव का दाह संस्कार किया जाना है. लेकिन कोरबा में नियमों को ताक पर रखकर दाह संस्कार किया जा रहा है.

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श्मशान घाट में टूट रहे कोरोना प्रोटोकॉल

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Published : Apr 15, 2021, 9:35 PM IST

कोरबा: कोरोना संक्रमण के आंकड़े लगातार चिंता बढ़ा रहे हैं. नए अस्पतालों में कोरोना वायरस का इलाज शुरू कर दिया गया है. अस्पताल खुलते ही भरने लगे हैं. दूसरी ओर श्मशान घाटों में भी शवों की संख्या बढ़ गई है. शहर के दो प्रमुख मुक्तिधाम में प्रतिदिन औसतन दो तीन शव के अंतिम संस्कार हो रहे हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों के शव ऐसे हैं, जिनकी मौत कोरोना संक्रमण के कारण हुई है.

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नियमानुसार दाह संस्कार निगम की जिम्मेदारी

जिले के 10 अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है. इनमें से एक को छोड़ दिया जाए तो सभी में सरकारी सुविधाओं के आधार पर निशुल्क इलाज चल रहा है. जिले में कुल बेड की संख्या 1577 है. इनमें से ज्यादातर बेड में मरीज भर्ती हैं. कोरोना से किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर इसकी सूचना संबंधित निकायों को दी जाती है. इसके बाद नगर निगम या संबंधित निकाय का अमला एंबुलेंस के जरिए शव को नियमानुसार दाह संस्कार के लिए मुक्तिधाम तक ले जाता है. लकड़ी के इंतजाम के लिए भी निगम को ही जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसके बाद मुक्तिधाम में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शव का दाह संस्कार किया जाना है.

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शव के लिए करना पड़ रहा इंतजार

निजी कंपनी में कार्यरत अमित कुमार राठौर जीवन आशा अस्पताल में मौजूद हैं. उनका कहना है कि बीती शाम 4 बजे उनके मित्र की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई है. लेकिन उनका शव अब तक सुपुर्द नहीं किया गया है. कुछ सरकारी प्रक्रिया शेष है. इसके लिए इंतजार करने को कहा गया है.अस्पताल का पूरा पेमेंट कर दिया गया है. सुबह 10 बजे लोग अस्पताल में मौजूद हैं, लेकिन शाम तक उन्हें शव सौंपा नहीं गया.

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मुक्तिधाम में नियम ताक पर

मुक्तिधाम में दाह संस्कार का कार्य पूरी तरह से निगम का मैदानी अमला को सौंपा गया है. इस दौरान कुछ परिजन भी साथ होते हैं. जो अंतिम वक्त में धार्मिक क्रियाकर्म को पूरा कर लेना चाहते हैं. इस चक्कर में कई बार नियमों की अवहेलना भी हो रही है. मृतक का शव पैकिंग से बाहर भी निकाल दिया जा रहा है. निगम के कर्मचारी भी बिना पीपीई किट के ही कार्य में लगे हुए हैं. उनका कहना है कि पीपीई किट पहनने से काफी गर्मी लगती है. इस कारण वह बीच-बीच में इसे उतार देते हैं. कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद मृतक के जितने भी परिजन मुक्तिधाम पहुंच रहे हैं. उनमें से भी ज्यादातर पीपीई किट में नहीं दिख रहे हैं. मुक्तिधाम में कुछ पीपीई किट फेंके हुए भी दिखे. जोकि संक्रमण फैलने की वजह बन सकते हैं.

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