कोरबा: जिले के ट्रामा सेंटर स्थित कोविड 19 अस्पताल के बाहर 4 घंटे तक इलाज के लिए तड़पने वाले मरीज की मंगलवार सुबह इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजन इसके लिए सीधे तौर पर अस्पताल प्रबंधन और जिले की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दोषी मान रहे हैं.
देर शाम शुरू हुआ था इलाज
दीपका क्षेत्र के 30 वर्षीय ठेका श्रमिक रविंद्र यादव की जान मंगलवार को चली गई. मृतक रविंद्र यादव, रमेश के बहनोई हैं. रमेश ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने अवस्थाओं का वीडियो बनाकर वायरल किया. जिसके बाद पता चला कि ट्रामा सेंटर स्थित कोविड अस्पताल में मरीज को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. रमेश ने ETV भारत से फोन पर चर्चा करते हुए बताया कि रविंद्र की तबीयत बिगड़ने पर उसे दीपका के एनसीएच अस्पताल में लेकर गए थे. जहां टेस्ट करने पर पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं. जिसके बाद रविंद्र की हालत स्थिर थी. कमजोरी होने के कारण बेहतर इलाज के लिए सोमवार की सुबह 10 बजे वे कोविड अस्पताल पहुंच गए थे. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इलाज शुरू करने की बजाए कई तरह की बहानेबाजी की.
ऑक्सीजन नहीं होने का बहाना
पहले बताया गया कि ऑक्सीजन नहीं है, फिर कहा गया अस्पताल में जगह नहीं है. डॉक्टर का इंतजार करने को कहा गया. अंत में इलाज नहीं मिला और वहां से जाना पड़ा. पीड़ित मरीज को वहां से स्याहीमुड़ी स्थित सिपेट कोविड केयर सेंटर में भेजा गया. जहां पहुंचने पर ये कहा गया कि यहां केवल ऑक्सीजन की व्यवस्था है. इंजेक्शन और अन्य दवाएं नहीं है. इस बीच रमेश के मोबाइल पर कलेक्टर के पीए का फोन आया. उन्होंने कहा कि आपके लिए ट्रामा सेंटर में फोन कर व्यवस्था कर दी गई है. आप वापस चले जाइए.
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