कोरबा:केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कोल इंडिया के श्रमिक संगठनों से हड़ताल वापस लेने की अपील की है. उन्होंने हड़ताल के ठीक एक दिन पहले श्रमिकों को राष्ट्रहित का हवाला देते हुए हड़ताल नहीं करने की बात कही है.
बुधवार को एसईसीएल (SECL) के एपीआरओ मिलिंद चहांदे ने अधिकृत तौर पर कोयला मंत्री का लिखित बयान जारी किया है. केंद्रीय कोयला मंत्री जोशी ने अपील करते हुए कहा है कि मजदूर राष्ट्र हित में 2 जुलाई से 4 जुलाई तक प्रस्तावित अपनी हड़ताल वापस ले लें.
कोयले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भारत
बुधवार को कोल इंडिया के 4 केंद्रीय श्रमिक संगठनों बीएमएस, एचएमएस, एटक और सीटू के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने बैठक ली. जिसमें उन्होंने अपील करते हुए कहा कि कमर्शियल माइनिंग के मामले में श्रमिक संगठनों की आशंका निराधार है. साथ ही उन्होंने देश को कोयले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयासों को सशक्त करने की अपील की है.
देश को होगा भारी नुकसान
उन्होंने कोल इंडिया परिवार को आश्वस्त किया कि कमर्शियल माइनिंग से कोल इंडिया का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है. कोल इंडिया देश में कोयला उत्पादन की सबसे बड़ी कंपनी थी, है और रहेगी. उन्होंने कहा कि हड़ताल से कोयला कामगारों, कंपनी और सबसे ऊपर देश का भारी नुकसान होगा.
250 मिलियन कोयले का आयात करना पड़ता है
कोयला मंत्री जोशी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए राष्ट्र को बिजली चाहिए. जो पर्याप्त कोयले के बिना संभव नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि कोल इंडिया पर भारत को गर्व है, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है और अकेले देश का 80 प्रतिशत से अधिक कोयला निकाल रही है. फिर भी देश को सालाना लगभग 250 मिलियन कोयले का आयात करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अपने देश में पर्याप्त कोयला रहते हुए कोयले का आयात किसी पाप से कम नहीं है.
चीन निकाल रहा है सालाना 3500 मिलियन टन कोयला
उन्होंने आगे कहा कि कोयले की इसी मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कोयले की कमर्शियल माइनिंग के लिए ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि हमारा पड़ोसी देश चीन सालाना 3500 मिलियन टन कोयला निकालकर अपने विकास को नई रफ्तार दे रहा है. दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व रखकर भी चीन आज सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और उपभोक्ता देश है. विकास की दौड़ में चीन को टक्कर देते हुए उससे आगे निकलने के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि हम अपने देश में मौजूद विशाल कोयला भंडार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें.