कोरबा: जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी होने से पहले ही अपनी बेटी को घर ले गए. जब बात खुली और इसका विरोध शुरू हुआ, तो डॉ. तिवारी ने बेटी को वापस क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंचा दिया. 14 दिन की क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी नहीं करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जिला प्रशासन और पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. अब सवाल यह उठता है कि क्या अब जिले के स्वास्थ्य महकमे के एक बड़े अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी या फिर अन्य मामलों की तरह इस पर भी पर्दा डालकर लीपापोती कर दी जाएगी.
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अरुण तिवारी की बेटी दूसरे राज्य से कोरबा पहुंची थी, जिसे शहर में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. उसकी क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी भी नहीं हुई थी कि सिविल सर्जन बेटी को घर लेकर चले गए. जब लोगों ने इसका विरोध किया, तो फिर उन्होंने बेटी को वापस क्वॉरेंटाइन सेंटर में पहुंचा दिया.
रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ले गए घर
इस विषय में सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी से जब ETV भारत की टीम ने बात कि तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी 2 हफ्ते पहले लौटी है, जिसकी RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आई थी, जिसके बाद ही वे अपनी बेटी को घर लेकर आए थे. अरुण तिवारी ने कहा कि लोगों के आपत्ति जताने के बाद उन्होंने बेटी को फिर से वापस क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंचा दिया है. उन्होंने आगे बताया कि उनकी बेटी अभी भी क्वॉरेंटाइन सेंटर में ही है.