कोरबा: हाल ही में जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में मवेशियों में टीके लगाने के बाद उनकी मौत के मामले सामने आए थे. स्थानीय और राज्य स्तर की जांच टीमों ने गांवों का दौरा किया था. फिलहाल वैक्सीन से मौत का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है.
इस घटना के बाद कोरबा शहर से लगे गोकुल नगर में भी मवेशियों की मौत का मामला सामने आया है. यहां पशुपालकों की माने तो पशुधन विभाग द्वारा सालाना मवेशियों को बीमारियों के बचाने के लिए वैक्सीनेशन तो किया जाता है, लेकिन सरकारी दवाएं काम नहीं करती. जिस बीमारी से बचाव के लिए मवेशियों को वैक्सीन दी जाती है, वही बीमारी हर साल मवेशियों को परेशान करती है. कई बार उनकी जान तक चली जाती है. इस साल गोकुल नगर में 60-70 मवेशियों की मौत हुई है. जिन पशु पालकों ने अपने मवेशियों का प्राइवेट इलाज कराया, उनके मवेशियों की जान बच गई.
गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होता है. यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. जिनका दूध का व्यवसाय है. पशुपालकों के पास गाय और भैंस सैकड़ों की तादाद में हैं.
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हाल में यहां मवेशियों में खुरहा चपका नामक बीमारी फैली थी. जो मवेशियों के पैरों में होती है. इसके अलावा यहां गलघोटू की शिकायत भी बनी है. जिसके बाद पशुपालकों ने कहा कि हर साल सरकारी पशु विभाग उनके मवेशियों को वैक्सीन लगाती है. वैक्सीन समय पर लग भी जाती है, लेकिन मवेशियों पर इसका असर नहीं होता.