कोरबा: कोरोना संकट के बीच अनलॉक के दौरान सरकार ने अंतर्राज्यीय बस संचालन की इजाजत दी है. 5 जुलाई से बसों के संचालन की अनुमति मिली है. लेकिन संक्रमण के डर से लोग अपने घरों से कम निकल रहे हैं. हाल ये है कि कम दूरी हो या लंबा सफर, यात्रियों की कम संख्या की वजह से कुछ किलोमीटर के लिए भी पेट्रोल-डीजल का खर्च नहीं निकल पा रहा है. लिहाजा बस मालिकों ने एक बार फिर संचालन बंद रखने का फैसला लिया है.
जीरो आमदनी और ज्यादा खर्च की वजह से निजी बस ऑपरेटर्स बस चलाने के लिए तैयार नहीं है और न ही सरकार द्वारा ठेका में चलाई जाने वाली बसें चल रही हैं. कोरोना संकट के बीच वर्तमान स्थिति में सार्वजनिक परिवहन के सभी साधन पूरी तरह से बंद हैं. आलम ये है कि जिले के 48 बसों में केवल दो बसों का ही संचालन हो पा रहा है.
नहीं मिल रहे यात्री
राज्य सरकार के निर्देशानुसार बस संचालक पूरे नियमों का पालन करते हुए बस चला रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. जाहिर सी बात है कोरोना संक्रमण के डर की वजह से लोग सार्वजनिक वाहनों में सफर से बच रहे हैं. प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यात्रियों को बस में बैठाया जा रहा है. खर्च इतना भी नहीं निकल पा रहा है कि ड्राइवर और कंडक्टर को तनख्वाह दी जा सके. ऐसे हाल में निजी बस ऑपरेटर और सिटी बस का संचालन करने वाली संस्था दोनों ने ही शासन से रियायत मांगी है. यह मांगें शासन स्तर पर लंबित हैं. जिन पर कोई भी निर्णय अब तक नहीं हो सका है. इसी गतिरोध के बीच बसों का संचालन फंस गया है.
बस संचालन के लिए 13 मांगें रखी
सिटी बस का संचालन करने वाली सोसाइटी ने शासन से 13 बिंदुओं पर अपनी मांग रखी है, जिसमें सब्सिडी प्रदान करने के साथ ही कुछ रियायत मांगी गई है. अब जब तक इन मांगों को शासन स्तर तक मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक बसों का संचालन होना मुश्किल है.