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कोरबा: 1145 सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक पदोन्नति आदेश निरस्त

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Published : Oct 19, 2022, 8:35 PM IST

Promotion order canceled in Korba कोरबा जिले में 1145 सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक पदोन्नति आदेश को कलेक्टर ने निरस्त कर दिया है. शिक्षा विभाग पर पदोन्नत होने वाले शिक्षकों से सांठगांठ कर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगे थे. जिसके बाद कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी पदोन्नति की सूची को निरस्त कर दिया.

Promotion order canceled in Korba
सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक पदोन्नति आदेश निरस्त

कोरबा: सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक पदोन्नति आदेश निरस्त कर दिए गए हैं. रविवार के दिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पदोन्नति आदेश जारी किए गए थे. 15 साल बाद के लंबे इंतजार के बाद सहायक शिक्षकों को पदोन्नति मिली थी. बिना काउंसलिंग एक एक शिक्षक के पृथक पृथक आदेश जारी किए गए थे. जिसे लेकर शिक्षक संघों में असंतोष था. शिक्षा विभाग पर पदोन्नत होने वाले शिक्षकों से सांठगांठ कर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगे थे. शिक्षक संघ के साथ ही कई शिक्षकों ने व्यक्तिगत तौर पर कलेक्टर से इसकी शिकायत की थी. Promotion order canceled in Korba

सहायक शिक्षकों के प्रधान पाठक पदोन्नति आदेश निरस्त

क्या है पूरा मामला: लगभग डेढ़ दशक के लंबे इंतजार के बाद सहायक शिक्षकों को प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत किया गया था. आदेश से जुड़े धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी 1145 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति की सूची को निरस्त कर दिया. जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. कलेक्टर ने बुधवार की शाम सूची को निरस्त करने संबंधी आदेश जारी किया है. Assistant teachers Promotion order

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अब काउंसलिंग कर पद भरने के निर्देश: कलेक्टर की ओर से जारी आदेश में 1145 पदों के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया को अपनाने के आदेश है. काउंसलिंग के बाद ही पदोन्नत होने वाले शिक्षकों को वरिष्ठता के क्रम में पदोन्नति प्रदान करने का भी आदेश है. बिना काउंसलिंग के शासन के नियमों को ताक पर रखकर पदोन्नति आदेश जारी करने को भी मौजूदा आदेश के निरस्त होने का एक कारण माना जा रहा है.

कलेक्टर के कड़े रुख से विभाग में हड़कंप: शिक्षक संघ के पदाधिकारी, जिन्होंने पदोन्नति सूची पर आपत्ति जताई थी. वह पदोन्नति आदेश निरस्त होने के बाद से ही खुश हैं. उनका कहना है कि "कलेक्टर के कड़े रुख के बाद ही यह आदेश निरस्त हुआ है. हमने पूर्व में ही भ्रष्टाचार और आपस में सांठगांठ करने के बाद पदोन्नति आदेश जारी किए जाने संबंधी आरोप लगाए थे. इसमें जिन शिक्षकों ने सांठगांठ की थी, उन्हें मनपसंद स्थान मिला था. जिन्होंने सांठगांठ नहीं की, उन्हें दूरदराज के स्कूलों में भेजा गया था. इसलिए वरिष्ठता क्रम के अनुसार काउंसलिंग करने के पश्चात ही पदोन्नति दी जानी चाहिए.

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