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SPECIAL: टिड्डी के बाद अब पेड़ों पर इल्ली अटैक, वन विभाग ने मदद के लिए निगम को लिखा पत्र

टिड्डियों का दल छत्तीसगढ़ से गुजर चुका है, लेकिन किसानों के लिए अब इल्लियों का खतरा चुनौती बनकर उभर रहा है. इल्लियों से निपटने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं.

illi insects ruining crops
पेड़ों पर इल्ली अटैक

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Published : Aug 25, 2020, 12:43 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 2:20 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ में किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. किसान कोरोना वायरस के संक्रमण, लॉकडाउन और बेमौसम बारिश की परेशानी से निकले भी नहीं थे कि अब उन्हें इल्लियों (Caterpillar) के हमले का डर सताने लगा है. कोरबा में हजारों की तादाद में इल्लियों ने खासतौर पर गुलमोहर और पेल्टोफोरम प्रजाति के वृक्षों पर हमला कर दिया है. यह हमला वृक्षों के लिए इतना घातक है कि इल्ली एक दिन में ही पूरे पेड़ के पत्ते चट कर जाती है, पेड़ की हालत पतझड़ में मुरझाए वृक्षों जैसी हो जाती है.

टिड्डी के बाद अब पेड़ों पर इल्ली अटैक


कुछ समय पहले प्रशासन ने टिड्डी अटैक को लेकर अलर्ट जारी किया था. टिड्डियों को भगाने के लिए तेज आवाज में डीजे बजाने से लेकर कई तरह के पेस्टिसाइड का छिड़काव भी करवाया गया था. इस मुसीबत से बचने के लिए प्रशासनिक स्तर पर उपाय खोजे जा रहे हैं. जानकारों की मानें तो यह इल्लियां कुछ खास प्रजाति के वृक्ष और पौधों को ही अपना निशाना बना रही है, जबकि बाकी पेड़ों को इनसे खतरा नहीं है. बावजूद इसके इल्लियां पेड़ों के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है, कुछ दवाएं भी इन पर कोई असर नहीं छोड़ पाई हैं.

वन विभाग ने मदद के लिए निगम को लिखा पत्र

इल्लियों के अटैक से निपटने के लिए वन विभाग ने नगर निगम को चिट्ठी लिखी है. वन विभाग ने पत्र में लिखा है कि इल्लियों का सीजन शुरू हो गया है. बड़ी तादाद में इल्लियां पेड़ों को नष्ट करने में लगी हुई है. हालांकि इन इल्लियों से ज्यादा नुकसान नहीं होने की संभावना जताई जा रही है. कुछ समय बाद इन इल्लियों से तितली निकलेगी और खतरा टल जाएगा.

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वैज्ञानिकों के मुताबिक, फायर डिपार्टमेंट के सहयोग से बारिश में खुला आसमान होने पर कीटनाशक 1% मोनोक्रोटोफोस और 1% क्लोरोफ़ायरीपोस का छिड़काव करने पर सभी तरह के कीड़े- मकोड़े मर जाते हैं. इसके अलावा देसी तंबाकू और नीम की पत्ती शैंपू में घोलकर छिड़काव करने पर भी इल्लियां मर जाती हैं.

  • इल्लियों की प्रजातियां अपनी त्वचा का चार से पांच बार त्याग करते हैं.
  • कैटरपिलर बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं.
  • एक टोबैको हॉर्नवॉर्म अपना वजन बीस दिन में दस हजार गुना बढ़ा लेता है.
  • अधिकांश कैटरपिलर केवल शाकाहारी होते हैं.
  • इनमें से कई पौधों की एक प्रजाति तक सीमित होते हैं.
  • कीटनाशक, मोनोक्रोटोफोस और क्लोरोफ़ायरीपोस के छिड़काव से इल्लियों का खतरा कम हो सकता है.
  • इसके अलावा देसी तंबाकू या नीम की पत्ती शैंपू में घोलकर छिड़काव करने पर भी यह कीड़ा मर जाता है

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कई क्षेत्रों में पतझड़ जैसा नजारा

शहरी और आसपास के क्षेत्रों में इल्लियों की तादाद लाखों में है. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कतारबद्ध गुलमोहर के पेड़ लगे हुए हैं. यहां का नजारा पतझड़ के मौसम जैसा है. जो पेड़ कुछ दिन पहले तक हरे भरे थे, अब वह किसी सूखे हुए ठूंठ जैसे लग रहे हैं. इल्लियों की तादाद इतनी ज्यादा है कि किसी भी एक पेड़ की पत्तियों को चट कर जाने में इन्हें 1 या 2 दिन का ही समय लगता है. नर्सरी और गार्डन के कई वृक्षों को इल्लियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है.

Last Updated : Aug 25, 2020, 2:20 PM IST

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