कोंडागांव: बीजापुर मुठभेड़ में शहीद होने वालों में कोंडागांव जिले के वनजुगानी गांव के रामदास कोर्राम भी शामिल हैं. 30 साल के रामदास कोर्राम नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. बचपन में मां को खो देने वाले रामदास कोर्राम भी देश की सेवा करते हुए शहीद हो गये. रामदास कोर्राम अपने पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
पति को याद कर फफक उठती हैं शहीद की विधवा
हादसे के बाद से शहीद रामदास की पत्नी प्रेमशीला इतनी सदमे में हैं कि उनकी आंखों से आंसू नहीं सूख रहे हैं. पथराई आंखों से दिनभर घर की ड्योढ़ी पर बैठ अपने पति को याद करती रहती है. प्रेमशीला पर दो बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है. बच्चों की भविष्य को देखते हुए प्रेमशीला सरकार से सिविल या जिला बल में नौकरी मांग रही हैं. ताकि रामदास के जाने के बाद उनके बच्चों को आर्थिक परेशानियां न झेलनी पड़े.
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बचपन में ही उठ गया था सिर से मां का साया
शहीद रामदास अपने तीन भाइयों में सबसे छोटा थे. बचपन में ही स्वास्थ्य कारणों से मां का देहांत हो गया था. पिता और दो भाईयों ने रामदास को पढ़ा-लिखाकर देश सेवा के काबिल बनाया. रामदास के बड़े भाई पंचायत सचिव हैं और मंझले भाई किसान हैं. रामदास 2011 में STF में भर्ती हुए थे. आज से करीब 5 साल पहले रामदास की शादी प्रेमशीला से हुई थी. दोनों के 2 बच्चे हैं. एक बेटा 4 वर्षीय मेउस और एक डेढ़ वर्षीय प्रयाग है. जिसकी जिम्मेदारी अब प्रेलशीला के कंधों पर है.