कोंडागांव: कांग्रेस ने अपने स्थापना के 136 साल पूरे कर लिए हैं. भारत की आजादी की लड़ाई से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इस अवसर पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कांग्रेस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि "कांग्रेस आम भारतीयों की जरूरतों की उपज है".
पीसीसी चीफ ने कहा कि आजादी के बाद से साल 2019 तक भारत के 17 आम चुनाव में से कांग्रेस को 7 में पूर्ण बहुमत मिला. वहीं 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया. करीब आधी सदी तक कांग्रेस केंद्र सरकार का हिस्सा रही. आज भले ही ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस की सरकार नहीं है, लेकिन कांग्रेस ही देश का एक मात्र राजनैतिक दल है, जिसका कार्यकर्ता भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम के हर गांव में मिल जाएगा.
पीसीसी चीफ ने बताया कांग्रेस का इतिहास
- 28 जनवरी 1885 को कुछ बुद्धिजीवियों ने भारत के लोगों की जरूरतों और उनकी समस्यायों के विमर्श के लिए एक मंच की जरूरत महसूस की. जो तत्कालीन हुक्मरानों के सामने भारत की जनता की आवाज बन सके. सरकार की ओर से बनाई जा रही नीतियों में भारतीयों की जरूरतों को स्थान दिलवाया जा सके. इन्हीं उद्देश्यों को लेकर 17 सदस्यों ने कांग्रेस की स्थापना की. जिनमें एओ ह्यूम, दादा भाई नौरोजी, व्योमेश चन्द्र बनर्जी, दिनशा वाचा प्रमुख थे.
- कांग्रेस का पहला अधिवेशन व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में मुंबई में हुआ. भारतीय नागरिकों की समस्याओं को उठाने के उद्देश्य के लिए गठित की गई कांग्रेस पार्टी बहुत जल्दी ब्रिटिश उपनिवेशिक शासन की मुखर विरोधी बन गई. गठन से ले कर भारत की आजादी तक कांग्रेस के करीब 15 मिलियन सदस्य बन गए थे.
- भारत के लोगों में राजनैतिक चेतना जागृत कर उनमें आजाद मुल्क की ललक पैदा करना एक बड़ा कठिन काम था. जब तक लोगों में आजादी और स्वराज की जरूरत की चेतना जागृत नहीं होगी, अंग्रेजी शासन के खिलाफ कोई भी आंदोलन खड़ा नहीं हो सकता. इस बात को कांग्रेस ने भली भांति समझ लिया था. इसीलिए कांग्रेस ने शुरू से ही अपने विरोध के कार्यक्रमों में आम आदमी को जोड़ा और सामूहिक नेतृत्व पर जोर दिया.
- 1915 में महात्मा गांधी के भारत आगमन के बाद उन्हें कांग्रेस की अध्यक्षता सौंपी गई. 1919 में गांधी जी कांग्रेस के प्रतीक पुरुष बन गए और इसके बाद कांग्रेस ने देश भर में अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ जनांदोलनों को खड़ा करना शुरू किया. छोटे-छोटे विरोध आंदोलनों की श्रृंखला धीरे-धीरे राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गई.
- सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, पूर्ण स्वराज आंदोलन में परिवर्तित होकर, 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के पूर्ण लक्ष्य को अंततः प्राप्त कर लिया गया.
- कांग्रेस आजादी का लक्ष्य प्राप्त करने में इसलिए सफल हुई, क्योंकि वह लोकतांत्रिक मूल्यों को ले कर आगे बढ़ रही थी. आजादी की लड़ाई में कांग्रेस किसी एक वर्ग की नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत की अगुवाई कर रही थी. कांग्रेस में कई विचार धाराएं थीं. गांधी जी सहित कांग्रेस के नेतृत्वकर्ताओं ने वैचारिक मतभिन्नता का पूरा सम्मान किया. साथ ही विभिन्न विचारों को लेकर स्वतंत्र भारत के एक लक्ष्य के साथ कांग्रेस दुनिया के सबसे बड़े सफल अहिंसक आंदोलन को चलाने में कामयाब हुई. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस भारत के जनमानस की आईना थी. सारा भारत कांग्रेस के साथ था सिर्फ साम्प्रदायिक जातिवादी और अंग्रेजो के प्रति श्रद्धा रखने वाले दल जरूर कांग्रेस के खिलाफ थे.
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- कांग्रेस के बड़े नेता दादा भाई नैरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य तिलक, गांधी जी, भगतसिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, भीम राव अम्बेडकर, सी राजगोपालाचारी, आचार्य नरेंद्र देव, मौलाना आजाद, मदन मोहन मालवीय आदि अनेको नेताओं ने नेतृत्व और त्याग, नैतिकता के ऊंचे मानदंडों को स्थापित किया था.
- आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जानते थे यह सारे लक्ष्य तभी फलीभूत हो सकते हैं जब भारत आर्थिक रूप से सुदृढ और सुक्षित और स्वस्थ हो. इसीलिए पंडित नेहरू ने सिंचाई परियोजनाओं के साथ बड़े कारखानो की नींव साथ में रखी. नेहरू ने विज्ञान और संस्कृति के सामंजस्य वाले भारत की कल्पना की थी. यही कारण था कि उन्होंने देश में आईआईएम, आईआईटी जैसे अभियांत्रिकी प्रबंध संस्थानों से ले कर बेहतरीन चिकित्सा संस्थान- अखिल भरतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की.
- पंडित नेहरू के बाद की कांग्रेस सरकारें उनके स्थापित इस मजबूत नींव पर आधुनिक भारत की शानदार इमारत की स्थापना करने पर कोई कसर नहीं छोड़ी.
देश की सामयिक जरूरत के अनुसार कांग्रेस ने समय-समय पर प्रथमिकता को बदल कर योजनाओं को बनाया. आजादी के पहले स्वतंत्रता आंदोलन, आजादी के बाद गणतंत्र का निर्माण, संविधान निर्माण प्रथमिकता में थे. - पंडित नेहरू के बाद शास्त्री जी के समय अनाज और देश की सुरक्षा को लक्ष्य रख कर जय जवान जय किसान का नारा दिया गया. इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति, बीस सूत्रीय कार्यक्रम, अंतरिक्ष कार्यक्रम, परमाणु कार्यक्रम से सुदृढ भारत के लक्ष्य को प्रथमिकता में रखा. राजीव गांधी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तब देश को 21वीं सदी की ओर ले जाने के लिए कांग्रेस की प्राथमिकता में सूचना प्रोद्योगकी और कम्प्यूटर क्रांति थी. पंचायतों को शसक्तीकरण कर सत्ता के विकेंद्रीकरण का मार्ग भी खोला गया.
- पीसीसी चीफ ने कहा कि पीवी नरसिंहराव के समय आर्थिक उदारीकरण को अपनाकर वैश्विक व्यापारिक जगत में भारत को मजबूती से खड़ा करने का प्रयास किया गया. यूपीए चेयर पर्सन सोनिया गांधी के मार्गदर्शन और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों के साथ खाद्य सुरक्षा कानून, सूचना के अधिकार, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना, शिक्षा का अधिकार, भू-अधिग्रण जैसे कानूनों को लाकर कांग्रेस ने आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया.