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इस प्रवासी भारतीय ने बस्तर संभाग के 61 गावों को लिया गोद - कोंडागांव के 13 गांव को लिया गोद

प्रवासी भारतीय डॉ कुसुम बेन ने बस्तर संभाग के 61 गांव को गोद लिया है. डॉ कुसुम बेन सामाजिक कार्यकर्ता हरिसिंह सिदार सहित अपने अन्य सहयोगियों की मदद से आदर्श गांव बनाना चाहती हैं. जिले के अंदरूनी इलाके में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इसे देखकर गांवों को गोद ली हैं. पढ़िए खबर...

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प्रवासी भारतीय ने बस्तर संभाग के 61 गावों को लिया गोद

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Published : Feb 13, 2021, 7:45 PM IST

कोंडागांव:प्रवासी भारतीय डॉक्टर कुसुम बेन ने बस्तर संभाग के 61 गांव को विकास के लिए गोद लिया है. इसी को लेकर डॉक्टर कुसुम बेन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रवासी भारतीय डॉ. कुसुम बेन ने कहा कि बस्तर संभाग के 61 गांवों को सामाजिक कार्यकर्ता हरिसिंह सिदार सहित अपने अन्य सहयोगियों की मदद से आदर्श गांव बनाना चाहती हैं. कोंडागांव जिले के 13 गांव भी शामिल हैं.

प्रवासी भारतीय ने बस्तर संभाग के 61 गावों को लिया गोद

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छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके के माध्यम से राष्ट्रपति से अनुमति मांगी थी. जिले के अंदरूनी इलाके में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इसे देखकर प्रवासी भारतीय डॉ कुसुम बेन और सी पटेल ने जिले 13 गांवों के साथ बस्तर संभाग के 61 गांवों को गोद लिया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और राज्यपाल को पत्र भेजकर अनुमति मांगी थी.

प्रवासी भारतीय डॉ कुसुम बेन

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गांवों में विकास कर आदर्श गांव बनाने का बीड़ा

डॉ कुसुम ने बताया कि उन्हें भारत से अत्याधिक लगाव है. वे पिछले तीन दशकों से भारत आ रही हैं. स्थानीय विभिन्न संघ-संगठनों के माध्यम से योगदान करती रही हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के बीच जब वह भारत आईं, तो उनके पूर्व परिचितों ने बताया कि बस्तर संभाग में ऐसे गांव हैं, जो पहुंचविहिन और अति अविकसित अवस्था में हैं. यह जानकार मुझे दुख हुआ. इनमें से कुछ गांवों का दौरा करने के बाद मैने इन गांवों को गोद लेने का निर्णय लिया. सभी गांवों में विकास कर आदर्श गांव बनाया जाएगा.

ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मिल सके

डॉ कुसुम ने बताया कि हम गांवों को शिक्षित और जागरूक करने के लिए कदम बढ़ाना चाह रहे हैं. ताकि हर ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मिल सके. इलाके के कुछ गांवों में नक्सलवाद अपनी पैठ बनाए हुए है. हमारी उनसे कोई लड़ाई नहीं है. हमारी बात सुनकर वे भी अपने गांव के विकास के लिए आगे आएं. कुसुम ने कहा कि नक्सली भी हमारे जैसे इंसान हैं, जो अपना और अपनों का भला-बुरा सोच सकते हैं. हम केवल आगे बढ़कर काम करने की मंशा लेकर गांवों में पहुंचे हैं.

ट्राइबल और ईको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
डॉ कुसुम ट्राइबल टूरिज्म, ईको टूरिज्म, फॉरेस्ट टूरिज्म, रूरल टूरिज्म का समावेश करना चाहती हैं. उन सभी गांवों के निवासियों की आत्मनिर्भता विकसित हो. भारत सरकार को विदेशी मुद्रा भी मिल सकेगा.

बस्तर संभाग के 61 गांव का नाम शामिल

  • कोंडागांव जिले के ग्राम बेचा, किलम, कड़ेनार, नेंडवाल, तिरिनबेड़ा, डोडेम, मंदोडा, चिकपाल, कोटमेटा, बेडमा, तुमडीवाल, ककडीपदर और आलवाड का नाम शामिल है.
  • बस्तर जिले में कढेमेटा, सालेपाल, बटबेला, बोदली, गोठिया, कढ़यनार, एरपुण्ड, अमलीपदर, पिंदी कोढिर, हर्राकोढेर, इठमेटा, पाउल और टेडम का नाम शामिल है.
  • बीजापुर जिले में गुफा, कोहका, तोढ़मा, बोंडस, लकिती, मटैसी, तुसताल, गुमटैर, इरपानार, पदबेड़ा और अंदेरबेड़ा गांव शामिल है.
  • नारायणपुर जिले में मढ़ोनार, हीड़कार, ब्रेम्हबेडा, हितुलवाड़, तुरूषवाड, शेतान, दर्राटी, कानानार, तोयामेटा, हांदावाड़ा, गोबेली, मोरोड़, रोताड़, ताड़काट, पट्टेवल, टेडाबेडा, मुगनार, तुलतुली, पोथवाड़, इंगा, जयगुडा, इकानार, फुलमेटा और कचोढा गांव शामिल है.

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