कोंडागांव:विश्रामपुरी के थाना प्रभारी, SI और ASI पर सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने मारपीट, जातिगत गालीगलौज करने और दबाव बनाकर 1 लाख रुपए वसूले जाने का आरोप लगाया था. साथ ही दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने शनिवार को केशकाल से विश्रामपुरी मार्ग पर 4 घंटे तक जाम कर धरना-प्रदर्शन किया था. इस पर एसडीओपी दीपक मिश्रा ने धरनास्थल पर पहुंचकर आदिवासी समाज को जल्द से जल्द जांच कर कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. इसी बीच मामले की गंभीरता को देखते हुए रविवार को कोंडागांव एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बड़ा एक्शन लिया. मामले में SP ने तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है.
कोंडागांव के 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड दरअसल कुछ दिनों पहले विश्रामपुरी थाने के एसआई शशिभूषण पटेल और एएसआई कमल सोरी पर मछली गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक ने मारपीट का आरोप लगाया था. शिक्षक का आरोप था कि तीनों पुलिसकर्मियों ने जनरेटर चोरी के मामले को लेकर उनके साथ मारपीट की थी. साथ ही जातिगत गालीगलौज करते हुए जबरन दबाव बनाकर उनसे 1 लाख रुपए वसूल लिए थे. इसको लेकर विश्रामपुरी सर्व आदिवासी समाज ने शनिवार को थाने के सामने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से केशकाल से विश्रामपुरी मुख्य मार्ग पर लगभग 4 घंटे तक जाम लगा रहा.
एसपी ने की कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि मामले की जांच में थाना प्रभारी, SI और ASI पर लगाए गए आरोप सही प्रमाणित हुए हैं. जिसके आधार पर उन्होंने थाना प्रभारी भपेंद्र साहू, उप निरीक्षक शशिभूषण पटेल और सहायक उप निरीक्षक कंवल सिंह सोरी पर विभागीय कार्रवाई करते हुए तीनों को निलंबित कर दिया है. इसके लिए एसपी ने आदेश भी जारी कर दिया है. आदेश के मुताबिक निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय रक्षित केंद्र रहेगा. इस दौरान जीवन निर्वाह भत्ता की पात्रता रहेगी.
पढ़ें:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्रवाई, एसडीओपी और थाना प्रभारी निलंबित
इससे पहले भी धनोरा थाने के थाना प्रभारी को गैंगरेप मामले में लापरवाही और जानकारी छिपाने के मामले में एसपी ने जांच कर निलंबित कर दिया था. यह दूसरा मामला है, जिसमें जिले के एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. जिले के एसपी सिद्धार्थ तिवारी अपनी इस आक्रामक शैली के लिए जिले में काफी सराहे जाते हैं, चाहे सिविल मामले हों या विभागीय, वे खुद ही जांच और कार्रवाई करने में जुट जाते हैं.