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कोंडागांव जिला अस्पताल बना रेफरल सेंटर - कोंडागांव जिला अस्पताल की व्यवस्था खराब

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के गृह जिले कोंडागांव का जिला अस्पताल करोड़ों खर्च करने के बाद भी रेफरल सेंटर बन गया है. इस अस्पताल में CT स्कैन, इकोकोर्डियोग्राफी, सोनोग्राफी, इसीजी का टेस्ट करवाने के रेट लिस्ट टंगे मिलेंगे.

Kondagaon Hospital
Kondagaon Hospital

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Published : Jun 3, 2022, 1:03 PM IST

कोंडागांव:पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के गृह जिले का अस्पताल करोड़ों खर्च करने के बाद रेफरल सेंटर बन गया है. कोंडागांव की पूर्व विधायक और मंत्री रह चुकीं लता उसेंडी का आरोप है कि "जब आप इस अस्पताल में आएंगे तो लगेगा कि बहुत ही अच्छा जिला अस्पताल है. लेकिन अंदर अव्यवस्था और इलाज के नाम पर आप खुद को ठगा महसूस करेंगे. कहने को तो यह सरकारी अस्पताल है. लेकिन यहां CT स्कैन, इकोकोर्डियोग्राफी, सोनोग्राफी, इसीजी आदि ऐसे कई टेस्ट करवाने के रेट लिस्ट टंगे मिलेंगे. ये कैसा सरकारी अस्पताल है. पीसीसी चीफ और क्षेत्रीय विधायक जिला अस्पताल में बेहतर सुविधा होने का केवल दिखावा करते हैं, जबकि आज भी यह रेफरल सेंटर है.

कोंडागांव अस्पताल बना रेफेरल सेंटर

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डेढ़ वर्षीय विशाल राय के साथ क्या हुआ?: डेढ़ साल के विशाल राय निवासी भगदेवा के माता-पिता और परिजन गुरुवार सुबह-सुबह तकरीबन 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे. एक बेहतर इलाज की उम्मीद लिए उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को जिला अस्पताल कोंडागांव में भर्ती किया. दरअसल ग्राम भगदेवा, जिला मुख्यालय कोंडागांव से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. वहां घर के समीप ही एक मोटर साइकिल से टकरा जाने की वजह से डेढ़ वर्षीय विशाल घायल हो गया था. माता-पिता और परिजन विशाल को लेकर जिला अस्पताल कोंडागांव पहुंचे.

CT स्कैन करवाने भटकते रहे परिजन: भगदेवा के समीप ही 3 किलोमीटर की दूरी पर चिपावंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन विशाल के परिजन बेहतर इलाज की उम्मीद लिए जिला अस्पताल कोंडागांव पहुंचे, यहां उन्होंने करीब 10:30 बजे विशाल को भर्ती किया, डॉ. राजेश बघेल ने बच्चे का इलाज शुरू किया. सर में चोट लगने की वजह से उन्होंने CT स्कैन करवाने की सलाह दी और प्रिस्क्रिप्शन भी लिखा. बच्चे विशाल को ग्लूकोस भी लगा दिया गया और प्राथमिक चिकित्सा शुरू भी हो गयी. अब चुंकि डॉ साहेब ने आगे इलाज शुरू करने से पहले CT स्कैन करवाने की सलाह दी है तो परिजन CT स्कैन वार्ड में पहुंचे, लेकिन कोई कहने लगा कि CT स्कैन खराब है, तो कोई कहने लगा कि CT स्कैन तकनीशियन 2 बजे के बाद आएगा.

बच्चा अचेत लेटा हुआ है. बच्चे के इलाज के लिए CT स्कैन होना जरुरी है. परिजन भटकते रहे दोपहर के 2 बज गए लेकिन तकनीशियन का कोई अता-पता नहीं. CT स्कैन हो भी पायेगा या नहीं पता नहीं. बच्चे की हालत गंभीर थी. डॉ. राजेश बघेल ने भी कह दिया कि जब तक CT स्कैन न हो जाय तब तक कुछ कर पाना और कह पाना मुश्किल है. ये ही हाल x-रे का भी है.

जिला अस्पताल में 30- 40 डॉक्टर:DMF मद, विशेष केंद्रीय सहायता मद से इस अस्पताल के साज-सज्जा और चिकित्सकीय संसाधन जुटाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए. इलाज स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ. डॉक्टरों की इस अस्पताल में कोई कमी नहीं, यहां 30 से 40 डॉक्टर तैनात हैं लेकिन संसाधनों का हवाला देकर सभी मोबाइल चलाने में व्यस्त रहते है. बेहतर से बेहतर संसाधन होने का केवल दावा बस यहां किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. 2 करोड़ 18 लाख की लागत से स्थापित किये गए CT स्कैन मशीन की हालत ऐसी है. साल के 6 माह यह खुद खराब रहता है. अभी हाल फिलहाल में ही लगभग 6 माह से बंद पड़े ICU को CM भूपेश बघेल के आने से पहले ठीक किया गया. लेकिन उनके जाते ही स्थिति जस की तस हो गई.

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