कोंडागांव: नक्सल समस्या के साथ सड़क की कमी कोंडागांव को लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई है. बरसात के शुरुआती दिनों में ही कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. इन्हीं में से एक गांव मोहन बेड़ापारा है. मोहन बेड़ापारा ग्राम पंचायत सलना में आता है, जो PCC चीफ का विधानसभा क्षेत्र भी है. यहां एक 9 महीने की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद एंबुलेंस को बुलाया गया. लेकिन गांव में सड़क के हालात ऐसे हैं कि गांव तक एंबुलेंस पहुंच ही नहीं सकी.
102 के कर्मचारियों ने ड्यूटी से साथ निभाया मानवता का फर्ज एंबुलेंस न पहुंचने की स्थिती में 102 एंबुलेंस के कर्मियों ने ग्रामीणों साथ मिलकर महिला को 3 किलोमीटर तक बांस की बल्ली और डाले में बिठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया. जिसके बाद महिला को अस्पताल तक ले जाया गया. जहां महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया है.
आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी बस्तर में बुनियादी सुविधाओं का आभाव है. जब पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के गृह ग्राम के पास के इलाके की ऐसी तस्वीर है तो पूरे प्रदेश के दुर्गम इलाकों में लोग कितनी परेशानी झेलते होंगे. छत्तीसगढ़ को बने लगभग 18 साल से ज्यादा हो गया, लेकिन बदहाली की तस्वीर अब भी नहीं बदली है.
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ETV भारत ने पहले भी बस्तर के कई गांव की समस्याओं को लेकर प्रमुखता से खबर दिखाई है. आज भी बस्तर में ऐसे गांव हैं जहां मूल सुविधाएं तक नही पहुंची हैं. दंतेवाड़ा के पखनाचुआ गांव में आज तक लोगों को साफ पानी नसीब नहीं हो पाया है. यहां के ग्रामीण आज भी ढोढ़ी का पानी पीने को मजबूर हैं. आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के ग्रामीणों को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल पाया है.