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Published : May 6, 2020, 1:36 PM IST

Updated : May 6, 2020, 8:01 PM IST

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SPECIAL: 'कर्जा ल लेके कलपत हे जीव, कइसे चलावं परिवार'...

कोंडागांव के अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसान पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं. किसानों की हालत ऐसी हो गई है कि व्यापारियों के बाद रिश्तेदारों से कर्ज लेकर परिवार चलाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार ने एक-एक दाना खरीदने का वादा किया था, लेकिन अब तक टोकन देने के बाद भी धान की खरीदी नहीं हुई है. ऐसे में परिवार कैसे चलाएं, कर्ज कैसे चुकाएं , इसकी चिंता खाए जा रही है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

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कर्ज में डूबे किसान

कोंडागांव:कहते हैं अन्नदाता जगत का पालनहार होता है, जो कड़ी धूप में खून-पसीने से खेतों को सींचकर अन्न उगाता है, तब जाकर लोगों की थाली तक भोजन पहुंचता है, लेकिन बड़ेराजपुर ब्लॉक के किसानों की हालत देखकर लगता है कि धान खरीदी को लेकर अब उनका धैर्य खो गया है. अन्नदाता सोसायटियों के चक्कर लगा-लगाकर थक गए हैं और अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं, लेकिन इनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है, बल्कि अधिकारी भी धान खरीदी को लेकर गोलमोल जवाब दे रहे हैं.

धान खरीदी को लेकर किसान परेशान

प्रदेश में जब धान की खरीदी शुरू होने वाली थी, तब छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों का एक-एक दाना खरीदने का वादा किया था, लेकिन धान खरीदी में विभागीय सिस्टम की नाकामी के कारण जिले के बड़ेराजपुर ब्लॉक अंतर्गत कोसमी के हलबापारा निवासी सवंतीन बाई अपना धान नहीं बेच पाई, जिससे अब उसके पास वर्तमान में लगभग 2 लाख रुपए का धान रखा हुआ है, बावजूद इसके यह आदिवासी परिवार एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया है. ऐसे में अब वे व्यापारियों के अलावा रिश्तेदारों से भी उधार लेकर परिवार चला रही हैं.

किसान परेशान

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अफसरों की लापरवाही का खामियाजा

ऐसा नहीं है कि सवंतीन बाई ने सरकारी धान खरीदी केंद्र में धान बेचने का प्रयास नहीं किया था, उसे 5 बार टोकन दिया गया था, लेकिन सिस्टम की खराबी के कारण वह धान बेचने से वंचित हो गई. आज स्थिति यह है कि उसके पास धान तो रखा है, लेकिन लॉकडाउन के कारण न तो वह धान बेच पा रही है, न ही बैंक का कर्ज उतार पा रही है.

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खाद-बीज के लिए ऋण की आवश्यकता

वर्तमान समय में खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद-बीज के लिए ऋण की आवश्यकता है, लेकिन फिलहाल बैंक से कर्ज नहीं मिल पाएगा, जिसके कारण सवंतीन बाई की चिंता दोगुनी हो गई है. सवंतीन बाई ने बताया कि उसे धान बेचने के लिए उपार्जन केंद्र विश्रामपुरी में 16 दिसंबर, 7 जनवरी और 4 फरवरी को टोकन दिया गया था, लेकिन दो बार अगली तारीख के लिए नवीनीकरण कर दिया गया, फिर भी इनका धान नहीं खरीदा गया.

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200 से अधिक किसानों से नहीं हुई है धान खरीदी
यह कहानी केवल अकेली सवंतीन बाई की नहीं है, बल्कि ऐसे 200 अन्य किसानों की भी है, जो पात्र होते हुए भी विभागीय लापरवाही के कारण धान नहीं बेच पाए. आज इसका खामियाजा वे लॉकडाउन के दौरान भुगत रहे हैं. इनमें से कुछ किसान घसिया, देशा, मान सिंह, लच्छन और रतन मंडावी ने बताया कि कई बार टोकन मिलने के बाद भी उनका धान नहीं लिया गया. कभी बारदाना नहीं है कहकर टोकन निरस्त किया गया, तो कभी बारिश के कारण टोकन रद्द हुआ.

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लॉकडाउन के चलते नहीं हो पा रही धान खरीदी
अंत मे कोंडागांव जिले में वंचित किसानों की धान अलग से खरीदी की गई, उसमें भी इस क्षेत्र के किसानों को वंचित कर दिया गया. इस समय लॉकडाउन की स्थिति में व्यापारी के पास भी धान नहीं बेच पा रहे हैं. इस समय व्यापारियों के पास सरकारी रेट से आधे दाम पर खरीदी हो रही है. सरकारी दर 2500 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि व्यापारी 1300 से 1400 रुपए में खरीदी कर रहे हैं.

पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं किसान
किसानों ने बताया कि इस समय लॉकडाउन के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है, वह पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं. किसानों ने यह भी बताया कि धान नहीं बेच पाने से उनका पिछला कृषि ऋण भी जमा नहीं हो पाया है. इस समय खरीफ की फसल के लिए उन्हें खाद बीज और नगद ऋण लेना था, लेकिन वह भी उन्हें अब नहीं मिल पाएगा, जिसे लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है. इस संबंध में लेंपस प्रबंधक और धान खरीदी प्रभारी मधु बघेल ने बताया कि किसानों का पंजीयन हुआ था, उन्हें टोकन भी मिल गया था, लेकिन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण किसान धान बेचने से वंचित हो गए थे. अब पहले का कर्ज चुकाने के बाद ही किसानों को रिफाइनेंस किया जाएगा.

Last Updated : May 6, 2020, 8:01 PM IST

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