कोंडागांव: भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन के आते ही बाजारों में रंग-बिरंगी सैकड़ों राखियों की दुकानें सज जाती हैं. इन राखियों में भाई-बहन के अटूट प्यार के बंधन को जीवंत बनाने के लिए इस बार कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने 'अभिनव पहल' शुरू की है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहात बिहान की स्वसहायता समूह की महिलाओं को हस्तशिल्प से जुड़कर विश्व प्रसिद्ध ढोकरा शिल्प कला की कलाकृतियों को नया आयाम दिया है.
इसके लिए जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डीएन कश्यप के मार्गदर्शन में ग्राम किड़ई छेपड़ा की स्व-सहायता समूह की महिलाओं और हस्तशिल्पयों का ढोकरा राखियों के निर्माण का प्रशिक्षण कराया गया था. जिसमें पंखुड़ी सेवा समिति के द्वारा ढोकरा राखियों का प्रशिक्षण दिया गया था. इसके बाद ढोकरा राखियों के लिए विभिन्न स्थानिय कलाकारों एवं बिहान समूह की महिलाओं द्वारा विभिन्न परंपरागत कलाकृतियों एवं माॅडल आर्ट को जोड़कर अनूठे डिजाइन तैयार किये गये हैं.
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इसी कड़ी में इस रक्षाबंधन में कुछ अनूठा करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन के द्वारा महिला स्वयं सहायता समूह बिहान की महिलाओं और हस्तशिल्पियों को पहली बार ढोकरा की राखियों का प्रशिक्षण देकर निर्माण करवाया जा रहा है. प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य कार्यपालन अधिकारी डी एन कश्यप के द्वारा ग्राम किड़ई छेपड़ा में किया गया. ढोकरा राखियों में अनूठे डिजाइन की राखी बनाई जा रही है. इन राखियों में मौली, रुद्राक्ष, मोती रत्न आदि का भी उपयोग किया जा रहा है. जिसकी ब्रांडिंग रक्षा राखी के नाम से की जा रही है. वैसे तो बाजार में अनेक प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं. लेकिन ढोकरा की राखियां अपने आप में अनूठापन लिए हुए है. जब यह राखियां बहन अपने भाई को बांधेंगी तो उसे एक अनूठेपन का भी एहसास भी होगा.
जिला प्रशासन की इस पहल से एक ओर जहां शिल्पी और महिलाओं को आय के नए स्रोत प्राप्त हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर हस्तशिल्पयों को नए डिजाइन और नई सोच के साथ काम करने का मौका भी प्राप्त हो रहा है. ढोकरा राखी का प्रशिक्षण पंखुड़ी सेवा समिति के द्वारा प्रदान किया जा रहा है. वहीं संस्था की अध्यक्ष खुशी सांत्रा ने बताया कि इस रक्षा बंधन, कोडागांव के जिला पंचायत के सहयोग से यहीं के स्थानीय कलाकारो को नए डिजाइन पर तकनीकी ट्रेनिंग दी गई, जिसमें हैंडीक्राफ्ट बोर्ड के मनोनीत डिजाइनर ललित विश्वकर्मा का सहयोग रहा है. राखियों की मार्केटिंग ऑनलाइन भी किया जाएगा और सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. अभी से ही ढोकरा राखियों को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है और आर्डर भी आने लगे हैं. जिससे हस्तशिल्पियों और महिलाओं का हौसला बुलंद है.