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कोंडागांव: लॉकडाउन में शराब दुकानें बंद होने से छिंद रस और सल्फी की बढ़ी मांग - Increased demand for chhind ras

कोंडागांव में कोरोना संक्रमण (Corona infection in Kondagaon) की चेन तोड़ने के लिए जिले में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown in Kondagaon) है. लॉकडाउन के कारण जिले में पिछले 24 दिन से शराब दुकानें बंद हैं. शराब दुकानें बंद होने से शराब प्रेमी अब ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाले छिंद रस और सल्फी से अपना गुजारा करना शुरू कर दिया है. इससे लॉकडाउन में इसकी डिमांड जिले में काफी बढ़ गई है. ग्रामीण अंचलों में हर दिन छिंद रस पीने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

Increased demand for chhind ras
छिंदरस और सल्फी की बढ़ी डिमांड

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Published : May 6, 2021, 10:40 PM IST

कोंडागांव: गर्मी का मौसम आते ही ग्रामीण इलाकों में हर जगह छिंद रस निकालने का काम शुरू हो गया है. जिले में पिछले 24 दिन से लॉकडाउन है. इसके कारण शराब दुकानें बंद है. ऐसे में शहरी क्षेत्र से भी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. बोरगांव के ग्रामीण धनीराम ने बताया कि कुछ दिनों से ग्रामीण क्षेत्रों में छिंदरस और सल्फी की मांग अधिक बढ़ गई है. हालांकि छिंदरस पीने से कोई खास नशा नहीं होता है. इसका स्वाद भी खट्टा मीठा होता है. इसके बावजूद शहरी क्षेत्र से भी लोग इसका स्वाद लेने के लिए गांव में आ रहे हैं.

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बस्तर बीयर के नाम से जाना जाता है सल्फी
छिंदरस से गुड़ भी बनाया जाता है. बोरगांव क्षेत्र मे छिंदरस से गुड़ बनाकर किसान लाभान्वित भी हो रहें हैं. सल्फी का ताजा रस स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. सल्फी के रस को हिलाने से बीयर की तरह झाग निकलता है. इसे बस्तर बीयर या देशी बीयर के नाम से भी जाना जाना जाता है.

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10 से 20 रुपए गिलास बिक रहा सल्फी

डिमांड बढ़ने से इसका उत्पादन भी तेजी से हो रहा है. सल्फी और छिंद रस 10 रुपए से 20 रुपए प्रति गिलास की दर बिक रहा है. शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग इसका सेवन करने गांव पहुंचते हैं. मांग अधिक होने के चलते उत्पादक इसके दाम भी बढ़ा रहे हैं. शहरी क्षेत्र से भी लोग इसका स्वाद लेने के लिए गांव में आ रहे हैं.

छिंद से कैसे बनाता है गुड़ ?

छिंद के पेड़ पर एक विशेष तरीके से चिरा लगाया जाता है. 15 दिनों तक उसे सूखने दिया जाता है. फिर तीन दिनों तक लगातार चिरा वाली जगह से रस निकाला जाता है. एक दिन छोड़कर दोबारा तीन दिनों तक रस निकाला जाता है. फिलहाल दंतेवाड़ा में ग्रामीण रोज एक छिंद के पेड़ से 3 से 4 लीटर रस निकाल रहें हैं. इसी रस को पकाकर गुड़ बनाया जाता है.

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