कोंडागांव: केशकाल विकासखंड का स्वास्थ्य महकमा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देता नजर नहीं आ रहा है. प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसे केशकाल अस्पताल से 60 किलोमीटर दूर कोंडागांव रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया. हालांकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है.
सत्तारूढ़ सरकार तो केवल योजनाएं बना देती है. उसे लागू करना तो नौकरशाहों का काम है. जनहित से जुड़ी किसी भी योजना का सफल क्रियान्वयन तभी मुमकीन है जब संबंधित महकमा जिम्मेदारी से अपना काम करे. संस्थागत प्रसव को लेकर राज्य सरकार गंभीर तो है ही और लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है. सहायता राशि का भी प्रावधान किया गया है, ताकि महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो सके और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. यहीं वजह है कि आजकल गांव में देशी तरीके से प्रसव होने लगे हैं.
अस्पताल में भर्ती करने से किया गया मना
गर्भवती महिला के पति सुरेश यादव ने कहा कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक रात को प्रसव पीड़ा हुई. जिसे लेकर सुबह 4 बजे वे मितानिन के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केशकाल पहुंचे. पहले गर्भवती का कोरोना टेस्ट हुआ. जिसमें पॉजिटिव होने के कारण वहां उपस्थित कर्मचारी और नर्स ने उन्हें तत्काल प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया. इसके बाद सुबह करीब 7 बजे महिला को कोंडागांव जिला अस्पताल रेफर किया गया. मिन्नतें करने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों की एक नहीं सुनी और महिला को जबरदस्ती कोंडागांव अस्पताल रेफर कर दिया गया. गर्भवती प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और उसे उसी हालत में कोंडागांव ले जाया जा रहा था.
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108 के कर्मचारियों ने कराया प्रसव