कोंडागांव: कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गई है, लेकिन इस सुविधा से अंदरूनी इलाके में बच्चों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है.
ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को नही मिल पा रहा ऑनलाइन क्लासेस का लाभ अभिभावक का कहना है कि, वैसे तो कहा जाता है कि स्कूलों में मोबाइल फोन अलाउड नहीं है, बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की सलाह दी जाती थी, लेकिन अभी बच्चों को पढ़ाई के लिए ही मोबाइल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. उसके बाद वो टीवी भी देखता है तो उसका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. इस पर बच्चे की सेहत पर क्या असर होगा. बच्चे के परिजन का कहना है कि, उन्हें पढ़ाना भी ज़रूरी है, लेकिन उसकी सेहत भी अपनी जगह अहम है. जहां कई बार बच्चे क्लास में विषय की पढ़ाई समझ नहीं पाते हैं, वहां ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चा कितना समझ पा रहा है, ये भी देखना जरूरी है.
ज़्यादा स्क्रीन पर रहने से बच्चों पर हो सकता है मनोवैज्ञानिक असर
डॉक्टरों के अनुसार बच्चों के लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप के संपर्क में रहने से आंखों के साथ ही मानसिक और शारीरिक तौर पर असर हो सकता है. कुछ स्टडीज के मुताबिक अगर बच्चे या किशोर छह या सात घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर रहते हैं, तो उन पर मनोवैज्ञानिक असर हो सकता. इससे उनमें आत्मसंयम की कमी, जिज्ञासा में कमी, भावनात्मक स्थिरता न होना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, आसानी से दोस्त नहीं बना पाना, जैसी समस्याएं हो सकती है.
लोगों के पास नहीं है एंड्रॉइड मोबाइल
ऑनलाइन क्लास में बच्चों से ज्यादा शिक्षक जुड़े नज़र आते हैं. शिक्षकों की ओर से सभी अध्ययनरत बच्चों के पालकों का मोबाइल नंबर लेकर उसे रजिस्टर्ड कर दिया गया, जिसमें ऐसे नंबर भी शामिल हैं, जो एंड्रॉयड मोबाइल नहीं चलाते हैं. अभिभावकों की मानें तो बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस शुरू होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर केवल खानापूर्ति किया जा रहा है, इनके अनुसार ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के गरीब घरों से हैं, जिनके पास एंड्रॉइड मोबाइल नहीं है साथ ही अंदरूनी क्षेत्र में नेटवर्क नहीं होने के कारण ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का कांसेप्ट उनके लिए उपयोगी साबित नहीं हो पा रहा है.
संसाधन जुटाने में पालकों को करनी पड़ती है भारी मशक्कत
बता दें कि जिले के अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे अनेक अभिभावक हैं, जिनके घर में इंटरनेट, स्मार्टफोन जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं और इस महामारी के समय पढ़ने वाले छात्रों के परिवारों की जहां माली हालत ठीक नहीं हैं वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन जुटा पाने में उनके अभिभावकों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.जिन पालकों के पास स्मार्टफोन है वह भी अपना काम धंधा छोड़कर ऑनलाइन कोर्स के फेर में दिनभर पूरा परिवार परेशान हो रहा है. नेटवर्क के चलते दिन भर के प्रयास के बाद कोई पढ़ाई पूरी नहीं हो रही है.
व्हाट्सएप से होगी ऑनलाईन क्लास
इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी राजेश मिश्रा से बात करने पर उन्होंने कहा की जिले के अंदरूनी क्षेत्र में नेटवर्क का प्रॉब्लम तो है साथ ही कई अभिभावक एंड्राइड मोबाइल और ऑनलाइन ऐप में जोड़ने की जानकारी के अभाव में अंदरूनी क्षेत्र के बच्चों को इसका फायदा नहीं पहुंच रहा है. इसके वैकल्पिक व्यवस्था के लिए हम प्रयास कर रहे हैं, ताकि बच्चों को ऑनलाइन क्लास का फायदा मिल सके. इसके लिए हम व्हाट्सएप के माध्यम से भी बच्चों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.