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SPECIAL: परंपरा और प्रकृति के साथ मनाएं हर्बल होली - Holi preparations in Kondagaon

कोंडागांव जिले के वनांचल की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. ये महिलाएं अपने आसपास घने जंगलों में पलाश फूल, चुकंदर, सिंदूर, हल्दी, मेहंदी, लाल भाजी, धवई फूल, पालक, गुड़हल की पत्ती और कत्था जैसे प्राकृतिक चीजों से गुलाल बना रही हैं.

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Published : Mar 27, 2021, 5:19 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 6:37 PM IST

कोंडागांव:बीते कुछ दशकों में बाजार में केमिकल युक्त रंग का बाजार काफी बढ़ा है. केमिकल वाले रंगों से खराब हो रही स्किन के कारण लोग एक बार फिर प्राकृतिक रंगों की तरफ बढ़ने लगे हैं. जिले के वनांचल की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने लोगों को प्राकृतिक रंग उपलब्ध कराने का बेड़ा उठाया है.

वनांचल की महिलाएं हर्बल गुलाल कर रही तैयार

छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम के गोद लिए गांव झाटीबन की शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस होली को खास बनाने में जुटी हैं. ये महिलाएं इस होली पर इको फ्रेंडली गुलाल तैयार कर रही हैं. जिले के फरसगांव ब्लॉक से 10 किलोमीटर की दूरी पर झाटीबन गांव है. यहां की महिलाओं ने अबतक ढाई क्विंटल से भी ज्यादा गुलाल का निर्माण कर लिया है. जिसे बाजार में बेचा जा रहा है.

गुलाल बनाने की विधि

ये महिलाएं अपने आसपास घने जंगलों में पलाश फूल, चुकंदर, सिंदूर, हल्दी, मेहंदी, लाल भाजी, धवई फूल, पालक और गुड़हल पत्ती, कत्था जैसे प्राकृतिक चीजों को एकत्रित कर उसे छांटने के बाद मिक्सी में पिसती हैं. इसके बाद इसे अरारोट के साथ एक अनुमानित मात्रा में मिक्स करते हुए फूल पत्तियों से बनाए गए पेस्ट में मिलाती हैं. रात भर सूखाने के बाद अगले दिन फिर से मिक्सी में पीसकर उसे छानकर सुखाती हैं और फिर यह गुलाल होली खेलने के लिए तैयार हो जाती है.

हर्बल गुलाल बनाने के लिए प्रयोग में आने वाली चीजें

  • मक्के का स्टार्च या अरारोट का पाउडर
  • चुकंदर- गुलाबी रंग
  • पलाश फुल- हल्का संतरा रंग
  • सिंदूर- गहरा संतरा सिंदूरी रंग
  • हल्दी- पीला
  • मेहंदी- संतरा रंग या अन्य रंग संयोजन
  • लाल भाजी- गुलाबी लाल
  • धवई फुल- गाजरी लाल
  • पालक और गुड़हल पत्ती- हरा रंग
  • कत्था- भूरा रंग

प्राकृतिक रंगों से मनाएं इस साल की होली

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं. बीते कुछ दशकों में बाजार में केमिकल युक्त रंग मिल रहे हैं. जो स्किन के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं. ऐसे में इस बार छत्तीसगढ़ के स्व-सहायता समूह की महिलाएं आपके लिए प्राकृतिक रंग लेकर आई हैं. आप किचन में मौजूद हल्दी, हीना पाउडर और चंदन पाउडर को भी रंग के रूप में उपयोग कर सकते हैं.

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कम से कम रंगों का करें प्रयोग

कई लोग होली पर एक दूसरे को रंग से सराबोर कर देते हैं. ऐसे में लोगों को कई दिन तो होली के रंग निकालने में ही लग जाते हैं. इससे बचने के लिए कम से कम रंग का प्रयोग करना चाहिए. इससे पानी का भी बचाव होगा.

Last Updated : Mar 27, 2021, 6:37 PM IST

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