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कोंडागांव में बीजेपी अनुसूचित जनजाति का विरोध, कांग्रेस के खिलाफ चक्काजाम का निर्णय

कोंडागांव में बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा की अहम बैठक हुई. जिसमें 8 अक्टूबर को आरक्षण कम किए जाने को लेकर चक्काजाम करने की रणनीति बनाई गई. संभाग स्तरीय बैठक में दिनेश कश्यप के नेतृत्व में 8 अक्टूबर को होने वाले चक्का जाम कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार की गई.

कोंडागांव में बीजेपी अनुसूचित जनजाति का विरोध
कोंडागांव में बीजेपी अनुसूचित जनजाति का विरोध

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Published : Oct 7, 2022, 6:16 PM IST

कोंडागांव : अटल सदन भाजपा कार्यालय कोण्डागांव में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की संभाग स्तरीय बैठक में दिनेश कश्यप के नेतृत्व में 8 अक्टूबर को होने वाले चक्का जाम कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार की गई. जिसमें यह निर्णय लिया गया कि लगभग पूरे संभाग से लगभग दस हजार की संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता कोण्डागांव चक्का जाम कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे. इस आदिवासी विरोधी कांग्रेस सरकार को नींद से जगाएंगे. इस बैठक में लता उसेंडी, सुभाऊ कश्यप ,लच्छू कश्यप ,ब्रम्हानंद नेताम ,राजाराम तोड़ेम ,सतीश लाटिया,नंदलाल मुड़ामी,रूपसिंह मंडावी समेत कई कार्यकर्तागण उपस्थित (BJP opposed Congress in Kondagaon ) थे.

आदिवासी समाज का आरक्षण छत्तीसगढ़ में 32% से घटकर अब 20% हो जाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के बयान पर पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने पलटवार किया है. पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने कहा है कि '' मोहन मरकाम को झूठ बोलने से बाज आना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में आदिवासी समाज ने कांग्रेस को 30 आदिवासी विधायक दिये बदले में कांग्रेस की यह सरकार आदिवासियों से उनका संवैधानिक अधिकार छीन रही है. छग लोक सेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 के माननीय उच्च न्यायालय में अपास्त हो जाने पर उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने आदिवासी समाज का पक्ष ठीक से नहीं रखा इसलिए ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय सामने आया.''


पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने जानकारी देते हुए बताया कि ''डॉ रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने संशोधित आरक्षण अधिनियम 2012 लाकर आदिवासी समाज को उनके जनसंख्या के अनुपात में 32% आरक्षण प्रदान किया. 2012 में ही इस अधिनियम के खिलाफ लगभग 17 याचिकाएं लगाई गई थी परंतु 2018 तक, जब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही तब तक माननीय उच्च न्यायालय में आदिवासी समाज का पक्ष मजबूती के साथ रखा गया और इसीलिए एक भी याचिका में याचिकाकर्ताओं को स्टे तक नहीं मिल पाया और निर्बाध रूप से आदिवासी समाज को 32% आरक्षण का लाभ मिलता रहा. परंतु दुर्भाग्य से 2018 के अंत में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई और इस सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय में आदिवासियों का पक्ष ठीक से नहीं रखा. कांग्रेस सरकार के इन 4 वर्षों में दर्जनों बार माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई लेकिन हर बार सरकार का रवैया ढीला ढाला रहा, परिणाम स्वरूप ऐसा निर्णय सामने आया.''

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