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कोंडागांव : महाशिवरात्रि पर होगा गोबरहीन में मेले का आयोजन, तैयारी पूरी

केशकाल विकासखंड के गोबरहीन में महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले में आस-पास के इलाकों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं.

A fair will be organized at Gobarheen village on Mahashivratri
गोबरहीन में मेले का आयोजन

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Published : Feb 19, 2020, 5:16 PM IST

Updated : Feb 19, 2020, 5:37 PM IST

कोंडागांव : जिले के केशकाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम गोबरहीन में भगवान भोलेनाथ की हजारों वर्ष पुरानी प्रतिमा विराजमान हैं. जो कि श्रद्धालुओं के लिए अध्यात्म का केंद्र बनी हुई है. प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के दिन यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जहां आस-पास के इलाकों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं.

महाशिवरात्रि पर होगा गोबरहीन में मेले का आयोजन

केशकाल नगर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बटराली में राष्ट्रीय राजमार्ग के दाहिने ओर ग्राम गोबरहीन का प्रवेश द्वार है. जहां से बस्ती शुरू होती है, कुछ दूर चलने पर दाहिने ओर एक पहाड़ी पर विशालकाय शिवलिंग विरजमान हैं.

शिवलिंग को बाहों में लेकर आजमाई जाती है किस्मत

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह स्थान मार्कण्डेय मुनि की तपोभूमि रही है. और इस शिवलिंग की यह मान्यता है कि यदि कोई पूरी श्रद्धा से शिवलिंग को अपने बाहों में भरता है और यदि उसकी दोनों हाथों की उंगलियां आपस मे स्पर्श करती है तो वह पुण्यात्मा कहलाता है.

नहीं हुआ शिवलिंग के ऊपर छत का निर्माण

इस स्थान की एक मान्यता यह भी है कि 'कभी भी इस शिवलिंग के ऊपर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. कुछ साल पहले किसी ने एक रात निर्माण कार्य का प्रयास भी किया था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. बताया जाता है कि निर्माणकर्ता को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा. इसके बाद से कभी किसी ने यहां निर्माण कार्य करने की कोशिश नहीं की.

दो शिवलिंग एक साथ देखने को मिलते हैं

कुछ दूर आगे चलने के बाद बायीं ओर एक पुलिया पार करने के बाद समतल भूमि पर जोड़ा शिवलिंग भी विराजमान हैं. बताया जाता है कि यह समूचे बस्तर क्षेत्र में एकमात्र जगह है जहां दो शिवलिंग एक साथ देखने को मिलते हैं.

महाशिवरात्रि के दिन चलते है निःशुल्क वाहन

महाशिवरात्रि के दिन निःशुल्क वाहन जैसे बस, जीप और अन्य चारपहिया वाहन मिलाकर लगभग 10 गाड़ियां 10-15 किलोमीटर की दूरी से आने वाले ग्रामीणों को दिन भर मेला स्थल तक पहुंचाने में लगी रहती हैं.

श्रद्धालुओं को वापस छोड़ने की भी व्यवस्था

मेला खत्म होने के बाद लोगों को वापस केशकाल तक लाकर छोड़ा जाता है. यहां लगने वाले मेले को गोबरहीन महाशिवरात्रि मेले के नाम से जाना जाता है.

Last Updated : Feb 19, 2020, 5:37 PM IST

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