कांकेर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड (Koylibeda Block) ग्राम पंचायत इरकबूटा (Iraq butta) का आश्रित गांव बणडा (Banda) अब भी बुनियादी सुविधाओं की ताक में है. राज्य बने भी दो दशक से अधिक बीत चुके हैं लेकिन इरक बुट्टा गांव की न तो तस्वीर बदली और न ही यहां बसे लोगों की तकदीर. गांव में बसे आदिवासी समुदाय के लोगों के लोगों का कहना है कि हमने सोचा था कि अब इलाके का तेजी से विकास होगा. लेकिन ये सपना सपना ही रह गया, हकीकत में तब्दील न हो सका.
अंधेरे में है ग्रामीणों और बच्चों की भविष्य
लगभग 95 की आबादी वाले इस गांव में आज तक स्कूल(School), आंगनबाड़ी (Anganwadi) की स्थापना नहीं हो पाई है. स्कूल न होने के कारण 19 बच्चों के भविष्य अंधेरे में है. आजादी के इतने साल बाद भी इस गांव के लोग खुद को आजाद महसूस नहीं करते है. गांव में स्कूल न होने के कारण बेटी पढाओ-बेटी बचाओ की आवाज यहां पर खोखला साबित होता दिखाई देता है. वहीं, अगर बात विकास की करें तो इस गांव की स्थिति विकास से अछूता है.
बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं का अंबार
गांव में सड़क, बिजली, पानी, दवा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीना पड़ रहा है. अगर गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो उसे बाइक या साइकिल की सहारे ही 10 किलोमीटर दूर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है. यहां सड़क न होने के कारण एंबुलेंस समय से नहीं पहुंच पाती है.
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आदिवासियों को विकास के नाम पर किया जा रहा खोखला