छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: अधूरी है पीएम आवास योजना से आशियाने की आस, पहली किश्त देकर भूल गए साहब - PM HOUSE SHCEME

कांकेर जिला में प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल बेहाल है. जिले से 15 किलोमीटर दूर मांदरी गांव में हितग्राहियों को पीएम आवास योजना के तहत केवल पहली किश्त की राशि मिली. जिसके बाद उन्होंने घर का निर्माण शुरू करवा दिया. लेकिन 8 महीने बीतने के बाद भी अब तक दूसरी किश्त ग्रामीणों के खाते में नहीं पहुंची है. इस वजह से कई ग्रामीण बारिश के मौसम में टूटे-फूटे घर में रहने को मजबूर हैं.

PM HOUSE SCHEME NOT WORKING PROPERLY
हितग्राहियों को आशियाने की आस

By

Published : Jul 11, 2020, 10:03 PM IST

कांकेर: सरकार ग्रामीणों के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाती है, जिससे उन्हें सुविधा मिल सके. इन योजनाओं की हकीकत तब सामने आती है जब अंदरूनी इलाकों का हाल सामने आता है. ETV भारत जब किरगापाटी गांव पहुंचा तो पता चला कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे मकान पिछले 8 महीने से अधूरे पड़े हैं.

अधूरी है पीएम आवास योजना से आशियाने की आस

किरगापाटी जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर मांदरी ग्राम का आश्रित गांव है. मकान अधूरे क्यों हैं, ये जानकर भी आप हैरान रह जाएंगे. ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर तो स्वीकृत हो गए लेकिन जिम्मेदार इन्हें पहली किश्त के बाद पैसे देना ही भूल गए. जिसके चलते मकानों की बस नींव तैयार है और छत कब बनेगी इसका भगवान ही मालिक है.

8 महीने पहले हुआ था भुगतान

ग्रामीणों को पहली किश्त 25 हजार रुपये का भुगतान आज से करीब 8 महीने पहले हुआ था. जिसके बाद गांववाले अपने पुराने कच्चे मकान को तोड़ कर पक्का मकान बनाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि अपने कच्चे मकान को ढहाने का फैसला उन्हें भारी पड़ सकता है. ग्रामीणों को जैसी ही पहली किश्त मिली उन्होंने निर्माण कार्य शुरू करवा दिया. लेकिन इसके बाद उन्हें प्रशासन की तरफ से कोई रकम नहीं मिली. जिसके चलते अब निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं. वहीं अब बारिश का मौसम आ चुका है ऐसे में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कच्चे मकान को ढहाया, अब घुस रहा घरों में पानी

किरगापाटी की बुजुर्ग महिला जंगली बाई ने बताया कि उन्हें जनवरी महीने में 25 हजार रुपये मिले थे जिसके बाद उन्होंने अपने कच्चे मकान का एक हिस्सा गिरा कर नींव तैयार करवाई थी. लेकिन इसके बाद उन्हें पैसा मिला ही नहीं, जिससे उनके मकान का काम अधूरा पड़ा है. वहीं आधा मकान गिरा देने के कारण अब बारिश का पानी घर के अंदर घुस रहा है, जिससे काफी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है. जंगली बाई अपनी नातिन के साथ रहती हैं. उसके अलावा उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. पैसे की मांग करने के लिए ये बुजुर्ग महिला सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने में भी असमर्थ है.

अन्य ग्रामीण का छलका दर्द

इसी गांव की रहने वाली सविता कांगे बताती हैं कि पहली किश्त मिलने के बाद कोई पूछने भी नहीं आया. पहली किश्त में नींव तक का काम हो चुका है लेकिन इसके आगे निर्माण के लिए पैसा नहीं है. बारिश में कच्चे मकान में रहना बेहद खतरनाक हो गया है, लेकिन मजबूरी है इसलिए रह रहे हैं इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है.

वहीं जिला पंचायत सीईओ ने इस मामले में कहा कि शासन के तरफ से राशि जारी नहीं की गई है. जैसे ही राज्य सरकार से राशि मिलेगी हितग्राहियों को अगली किश्त मिल जाएगी.

कागजों में सिमटे विकास के दावे

जिनके सिर पर छत है, उन्हें भले सावन सुहाना लगता हो लेकिन जिन्हें जुगाड़ से जिंदगी चलाने पड़ी वही बारिश का दर्द महसूस कर सकते हैं. उम्मीद करते हैं कि अफसरों के कानों पर जूं रेंगे और वो भी जंगली बाई और सविका कांगे जैसे लोगों का दु:ख महसूस कर सकें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details