कांकेर: जीवलामरी गांव में जब पुलिस के जवानों ने पहाड़ी काटकर सड़क बनाई थी, तब यहां के ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे थे कि अब उन्हें आने-जाने की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा. लेकिन गांववालों को क्या पता था कि उनकी ये खुशी सिर्फ चंद महीनों के लिए है.
जवानों ने जान पर खेलकर बनाई थी ये सड़क, प्रशासन ने गांववालों से 'छीन' ली जैसे ही बारिश शुरू हुई ये कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील हो गई. इस सड़क पर गाड़ी चलाना दूर की बात पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. जिसके चलते ग्रामीण अब फिर जंगल के रास्ते आवाजाही कर रहे हैं.
जीवलामरी गांव मर्दापोटी गांव का आश्रित ग्राम है और यहां रहने वाले 17 परिवार के लोगों को राशन लेने भी पहाड़ी से नीचे मर्दापोटी गांव आना पड़ता है. ऐसे में ये ग्रामीण 4 किलोमीटर पैदल पहाड़ी जंगलों के रास्ते राशन लेने आने मजबूर हैं. 4 बच्चे स्कूल जाने के लिए 4 किलोमीटर जंगल के रास्ते से गुजरते हैं.
जीवलामरी गांव में 17 परिवार रहते हैं. यहां प्राथमिक शाला तो है लेकिन उसके आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को पहाड़ी से नीचे मर्दापोटी गांव आना पड़ता है. इस गांव से 4 मासूम बच्चे रोजाना पढ़ाई करने मर्दापोटी गांव आते हैं. बच्चों ने ETV भारत से बताया कि उन्हें रोजाना स्कूल से जल्दी छुट्टी लेकर गांव लौटना पड़ता है क्योंकि यहां सड़के खराब हो चुकी है, ऐसे में उन्हें जंगल के रास्ते आना जाना करना पड़ता है. जंगली जानवरों का डर रहता है ऐसे में वो दोपहर में ही स्कूल से छुट्टी लेकर गांव लौट जाते हैं.
हैरान करने वाली बात है कि एक तरफ शिक्षा व्यव्स्था के लिए तमाम दावे किये जाते हैं लेकिन यहां कुछ मासूम जो पढ़ना चाहते है उन्हें एक सड़क के कारण अपनी पढाई रोज अधूरी छोड़ कर लौटना पड़ता है. कोई बीमार हो जाए तो खाट पर डालकर लाना पड़ता है.
ग्रामीणों ने बताया कि गांव तक बड़ी गाड़ी तो दूर की बात बाइक भी नहीं जा सकती, जिसके चलते यदि कोई ज्यादा बीमार पड़ जाए तो उसे खाट में डालकर नीचे मर्दापोटी गांव तक लाना पड़ता है.
ऐसे में यहां जब जवानों ने कच्ची सड़क बनाने दिन रात एक कर दिया था तब यहां के लोगो में उम्मीदें जगी थीं कि अब उन्हें भी सभी सुविधाएं मिल सकेंगी लेकिन प्रशासन के ढीले रवैए ने एक बार फिर लोगों के चेहरे पर उदासी फैला दी और उन्हें परेशानियों से रूबरू होने को मजबूर कर दिया.