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Tribal leader Sohan Potai died: आदिवासी नेता सोहन पोटाई का निधन, चार बार के रहे हैं सांसद

पूर्व भाजपा सांसद और दमदार आदिवासी नेता सोहन पोटाई का गुरुवार को सुबह निधन हो गया. उन्होंने माहुरबंध पारा स्थित अपने निवास में अंतिम सांस ली. सोहन पोटाई लंबे समय से बीमार चल रहे थे. सोहन पोटाई सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष थे और उन्हें एक मुखर आदिवासी नेता के रूप में जाना जाता था. पोटाई के निधन से राज्य के राजनैतिक गलियारे में भी शोक की लहर है. सीएम भूपेश बघेल सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजली दी है.

Tribal leader Sohan Potai died
आदिवासी नेता सोहन पोटाई का निधन

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Published : Mar 9, 2023, 11:51 AM IST

Updated : Mar 9, 2023, 1:11 PM IST

कांकेर:सोहन पोटाई के निधन से आदिवासी समाज में शोक की लहर है. उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव बाबूदबेना में किया जाएगा. 29 अप्रैल 1958 को सोहन पोटाई का जन्म हुआ था. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से चार बार कांकेर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव जीता. 1998 में चुनाव मैदान में सोहन पोटाई ने कांग्रेस के कद्दावर नेता महेंद्र कर्मा को भी हराया था. पोटाई राज्य के प्रमुख आदिवासी नेताओं में से एक थे. जिनके निधन के बाद सीएम भूपेश बघेल, पूर्व सीएम रमन सिंह सहित कई दूसरे नेताओं ने उन्हें याद किया है.

ऐसा रहा सोहन पोटाई का राजनैतिक सफर:1999 में सोहन पोटाई ने छबिला अरविंद नेताम को चुनाव हराया था. 2004 में सोहन पोताई ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही गंगा पोटाई ठाकुर को हराया. फिर साल 2009 में सोहन पोटाई ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को पराजित कर लगातार चौथी जीत का रिकार्ड बनाया.

2014 में भाजपा से उनका टिकिट कटने के बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर दिया और सर्व आदिवासी समाज के एक मुखर लीडर बनकर आदिवासियों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे. जिसके बाद 2016 में सोहन पोटाई को भाजपा ने निष्काषित कर दिया था. 2017 के जनवरी बीजेपी से निष्काषित होने के बाद उन्होंने जय छत्तीसगढ़ पार्टी भी बनाई थी.

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कैंसर से ग्रसित थे पोटाई:सोहन पोटाई लंबे समय से कैंसर की बीमारी से ग्रसित थे. हाल ही में पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंची थी. जहां उन्होंने डॉक्टरों को उनके उचित इलाज के निर्देश दिए थे. सोहन पोटाई के जाने से बस्तर में आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के मुद्दों पर असर पड़ेगा. सोहन पोटाई लगातार स्थानीय आदिवासियों के मुद्दों को मुखर होकर आवाज उठा रहे थे. उनके निधन के बाद आदिवासी समाज में शोक की लहर है.

Last Updated : Mar 9, 2023, 1:11 PM IST

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