कांकेर: बस्तर संभाग के जिलों के कई गांवों को दूसरे जिले में जोड़ने को लेकर कमिश्नर के द्वारा प्रस्तावित परिसीमन तैयार किया गया है. इसमें कांकेर जिले के 53 गांवों को नारायणपुर जिले में जोड़ने की खबर फैलते ही राजनीति गर्मा गई है. क्षेत्र के व्यापारी और सर्व सामाज के लोग विरोध कर रहे हैं. गोंडवाना भवन में सर्व समाज के लोग एकत्रित हुए और इस प्रस्तावित परिसीमन का विरोध किया. समाज की मांग है कि सरकार इस पर तत्काल रोक लगाए. ऐसा नहीं होने पर सर्व समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी है. प्रस्तावित परिसीमन को लेकर 17 अगस्त को मुख्यमंत्री की वर्चुअल बैठक होने वाली थी. विरोध को देखते यह बैठक निरस्त किया गया.
कांकेर जिले के 53 गांव को नारायणपुर जिला में मिलाने के लिए प्रस्तावित किया गया है. ये वहीं गांव है जिसके आसपास रावघाट खदान क्षेत्र है. इसकी जानकारी मिलते ही समाज, प्रमुख व्यवसायी, युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों, भानुप्रतापपुर के गोंडवाना भवन में एकत्र हुए और रणनीति तैयार की गई.
गोंडवाना समाज के जिला अध्यक्ष मानक दरपट्टी ने कहा कि 'दल्ली राजहरा से रावघाट तक के आने वाले भविष्य का सपना क्षेत्रवासियों ने देखा था. हजारों किसानों ने अपनी जमीन को अधिग्रहण करने सहमति दी थी. ताकि आने वाले समय में उनकी पीढ़ी के लिए ये क्षेत्र जीवनदायिनी साबित हो. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने अपनी जमीन दी थी. लेकिन जिस तरह से बस्तर कमिश्नर और IG की तरफ से गुपचुप तरीके से प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. यह बहुत ही निंदनीय है. जिसका हम विरोध करते हैं. हम चेतावनी देते हैं कि बस्तर शांत है. उसे अशांत करने की स्थिति पैदा नहीं किया जाए. हम किसी भी हाल में होने नहीं होने देंगे'.