कांकेर:कोयलीबेड़ा क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों की रहने वाली राजेश्वरी उईके, रितु नरेटी, कलेश्वरी आँचला, रोशनी आँचला, माही मरकाम, अश्वनतीन दर्रो, सनिता नवगो, दुलसा पटेल, लडकियां कालेज में पढ़ाती हैं. struggle of girls for ambulance जो अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत सुविधाओं के विस्तार को लेकर लगातार संघर्ष करती रहती हैं. kanker news update
45 किमी से एम्बुलेंस आता था:कोयलीबेड़ा की कालजे की पढ़ाई कर रही राजेश्वरी उईके का कहना है कि "क्षेत्र में हम लोग कुछ पढ़ी लिखी युवती हैं. हमने देखा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं है.ambulance in remote area हमारे क्षेत्र में मरीजो को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता था. जब भी कोई बीमार पड़ता था. 45 किमी से एम्बुलेंस आता था. फिर मरीजो को ले जाता था. इसे देखकर हमने सोचा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस आना चाहिए. हमने पहले जिला मुख्यालय जाकर आवेदन दिया. फिर लगातार एम्बुलेंस की मांग को लेकर ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर तक आवेदन देते रहे. महीने भर बाद भी हमारी मांग पूरी नही हुई.
एम्बुलेंस के लिए देर रात तक डटी रहीं लडकियां:कलेश्वरी आंचला का कहना है कि "एक दिन हमारी मांगों को लेकर कांकेर कलेक्टर से मिलने गए. लेकिन कलेक्टर कही दौरे में रहने के कारण मिल नहीं पाए. हमें बताया गया कि कलेक्टर शाम 5 बजे लौटेंगे. लेकिन वो 5 बजे नहीं आए. हम लोग वहीं डट गए और तय किया कि रात कहीं भी रहेंगे. लेकिन आज कलेक्टर से मिल कर एम्बुलेंस लेकर ही जायेंगे. फिर कलेक्टर 8 बजे रात को आई. हमने उनसे मिल कर अपना समस्या को रखा. कलेक्टर ने हमारी समस्या को गंभीरता से लिया और दूसरे दिन हमारी मांग पर अमल किया गया. क्षेत्र में एम्बुलेंस भेजा गया."