कांकेर : दिव्यांग छात्र मड्डाराम के क्रिकेट वीडियो को 'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने सराहा था. साथ ही उसे तोहफे के तौर पर क्रिकेट किट भेजकर उसका मनोबल भी बढ़ाया था. मड्डाराम की तरह ही कांकेर जिले के किशनपुरी गांव का रहने वाला संजय दर्पट्टी भी दिव्यांग है. संजय ने 8 साल की उम्र में एक हादसे में अपना दांया पैर गंवा दिया था, लेकिन इन तमाम परेशानियों के बाद भी क्रिकेट के जुनून ने संजय को क्रिकेट से दूर नहीं कर पाया. बल्कि जो संजय पहले चौके-छक्के लगाते थे. अब वो बॉलिंग के साथ-साथ कीपिंग कर ऑलराउंडर कहला रहे हैं.
संजय ने ETV भारत से खास-बातचीत में अपनी लाइफ की जर्नी शेयर करते हुए बताया कि, वे बचपन से ही क्रिकेट खेलने के शौकीन थे. इसी इच्छा शक्ति और जुनून ने उन्हें क्रिकेट के मैदान पर ला खड़ा किया. संजय बताते हैं कि, वे अपने एक पैर की जगह लकड़ी का सहारा लेते हैं, इसी सहारे वे मैदान में खूब चौका-छक्का लगाते हैं. साथ ही वे पहले बैटिंग करते थे, अब तेज गेंदबाजी भी करते हैं. वहीं बैटिंग के दौरान खुद ही लकड़ी के सहारे दौड़ कर रन भी बनाते हैं.
नेशनल लेवल पर क्रिकेट खेलने की चाह
संजय से जब हमने पूछा कि बचपन में हुआ हादसा उनके वर्तमान पर क्या असर डालता है और वे भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं तो संजय का जवाब था कि, 'अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी बाधा आ जाए फर्क नहीं पड़ता. क्रिकेट मेरा प्यार है और मैं नेशनल लेवल पर क्रिकेट खेलना चाहता हूं'. संजय बताते हैं कि वो अपनी टीम के ओपनर बैट्समैन हैं. उनके गांव के साथी उनका खूब हौसला अफजाई करते हैं. कभी उन्हें ये अहसास नहीं होने देते कि उनमें कुछ कमी है. इसके साथ ही संजय अपने माता-पिता का भी जिक्र करते हैं कि, उन्हें कभी भी उनके माता-पिता ने क्रिकेट खेलने से नहीं रोका. शुरू-शुरू में घर वाले डरते थे कि कहीं चोट न लग जाये लेकिन अब उन्हें खेलता देख सभी खुश होते हैं.