कांकेर: छत्तीसगढ़ में सरकारी तौर से दिवाली की छुट्टी बीते 3 दिन हो गए हैं, लेकिन अंदरूनी इलाकों के शिक्षकों के अंदर से अभी तक छुट्टी का खुमार नहीं उतरा है. इसी कड़ी में जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर मातला ब के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल की इन दिनों ताला ही नहीं खुल रही है, जिससे छात्र स्कूल में ताला देखकर वापस लौट जाते हैं.
सरकार को शिक्षक दिखा रहे ठेंगा दरअसल मातला ब गांव जिले के अंतिम छोर में मौजूद है. इस गांव से कोंडागांव और नारायणपुर जिले की सीमा लगती है. गांव तक पहुंचने के लिए आज भी पगडंडी वाले रास्ते हैं, जिसका पूरा फायदा इन इलाकों में पदस्थ शिक्षक बखूबी उठाते हैं. शिक्षक इस बात से भलिभांति वाकिफ हैं कि इस इलाके में कोई भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचेगा.
शिक्षक सरकार को दिखा रहे ठेंगा
वहीं लापरवाह शिक्षक यहां के मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. पिछले साल तक यहां स्कूल भवन भी नहीं था, जर्जर भवन में स्कूल संचालित हो रहे थे. इस साल ही यहां पोटा केबिन के तहत स्कूल निर्माण कराया गया है, जिससे मासूम बच्चे पढ़ लिखकर अपना भविष्य सवार सके, लेकिन गैर जिम्मेदार शिक्षक सरकार के इस मंशा पर पानी फेर रहे हैं.
शिक्षकों का नाम तक नहीं जानते ग्रामीण
जब ETV भारत की टीम इस गांव में पहुची, तो ग्रामीण शिक्षक का नाम भी नहीं बता पाए. ग्रामीणों ने बताया कि दिवाली के तीन-चार दिन पहले से शिक्षक नहीं आ रहे हैं. वहीं ग्रामीणों से जब शिक्षकों का नाम पूछा गया तो, ग्रामीणों को नाम तक नहीं मालूम है.
लापरवाह शिक्षक कैसे बढ़ाएंगें शिक्षा की स्तर
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि शासन भले ही लाख योजनाएं ले आए, लेकिन ऐसे लापरवाह शिक्षकों के रहते आखिर इन इलाकों में शिक्षा का स्तर कैसे ऊपर उठ पाएगा, और आखिर कब इन इलाकों के बच्चे अपना भविष्य पढ़ लिखकर संवार सकेंगे.