कांकेर: प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण अब यहां के छोटे-छोटे कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि वे दिन दहाड़े रिश्वत लेने से पीछे नहीं हट रहे है. धुर नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में संजीवनी वाहन कर्मचारी की एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. संजीवनी 108 के कर्मचारी ने घायल अवस्था में इलाज कराने पहुंचे एक ग्रामीण को वापस गांव छोड़ने के लिए 4 हजार रुपए की मांग की, जबकि ग्रामीण के पास खाने तक के पैसे नहीं थे.
दरअसल, कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गट्टाकाल गांव का रहने वाले ग्रामीण अमलूराम पर उसके बैल ने हमला कर दिया था जिससे उसके आंख पर गंभीर चोट आई थी, जिसके चलते उसे स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद कांकेर जिला अस्पताल रेफर किया गया. कांकेर अस्पताल में चोट गंभीर होने के कारण उसे रायपुर जाने की सलाह दी गई, लेकिन ग्रामीण ने इलाज के लिए रुपए नहीं होने की बात कहकर वापस गांव जाने की बात कही.
गांव तक पहुंचाने के लिए 4 हजार रुपयों की मांग
अस्पताल प्रशासन ने संजीवनी 108 वाहन से वापस छोड़ने की बात कही थी, लेकिन वाहन चालक ने मंगलवार को संजीवनी सेवा बंद होने की बात कहकर ग्रामीण से रुपए ऐंठने की कोशिश की. ग्रामीण ने जब 4 हजार रुपये देने में असमर्थता जताई तो संजीवनी 108 के चालक ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया और घायल ग्रामीण पैदल 70 किलोमीटर का सफर कर अंतागढ़ पहुंचा, जहां कुछ लोगों ने उसकी आप बीती सुन उसके लिए गाड़ी की व्यवस्था की और उसे गांव तक पहुंचाया.