कांकेर:छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार बांटे जा रहे हैं. कुपोषित बच्चों को अंडे दिए जा रहे हैं, पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहें, लेकिन जिम्मेदार सरकार की योजनाओं पर पानी फेरने में जुटे हुए हैं. ताजा मामला पखांजूर ब्लॉक के उलिया पंचायत से आया है. महिलाओं ने आरोप लगाया है कि गर्भवती महिलाओं को राशन और अंडा बांटा जा रहा था, लेकिन अब बंद कर दिया गया है.
पखांजूर में गर्भवती महिलाओं को राशन और अंडा नहीं बांटा जा रहा महिलाओं से मिली जानकारी के अनुसार एक गर्भवती महिला को आंगनबाड़ी से राशन के साथ प्रतिदिन एक अंडा दिया जाता था, जो उन्हें गर्भधारण के 7 महीने अलग-अलग गर्भवती महिलाओं को मात्र एक से दो महीने का ही अंडा बाटा गया, जबकि राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं को समितियों के माध्यम से कुपोषित बच्चे और गर्भवती महिलाओं को सुपोषण योजना के तहत गर्म भोजन देने का निर्देश है. बावजूद इसके 'रेडी टू इट' के तहत गर्भवती महिलाओं को राशन और अंडा नहीं दिया गया.
छत्तीसगढ़ में कुपोषण से कैसे मिलेगी आजादी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और समिति पर महिलाओं का आरोप
गर्भवती महिलाओं का आरोप है कि खाने में रोज एक अंडा और जीरो से 3 साल के कुपोषित बच्चों को आधा अंडा दिया जाता था. इसके अलावा 3 से 6 साल तक के कुपोषित बच्चों को खाने में रोज एक अंडा दिया जाता था, लेकिन उलिया पंचायत से आश्रित माड़ गांव में गर्भवती महिलाओं को एक महीने तक ही अंडा दिया गया है. ऐसे में महिलाओं में नाराजगी देखी जा रही है. महिलाओं ने आरोप लगाया है कि आदिवासी लोगों को सरकार की योजनाओं के बारे में कम जानकारियां होती है, जिसका आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और समिति उठा रहे हैं. महिलाओं ने बताया कि एक बार किसी को 20 तो किसी को 24 अंडे दिए गए थे. इतना ही नहीं कभी अंडे ही नहीं बांटे गए.
कुपोषण मुक्त सपना कहीं सपना ही बन जाए
वहीं मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की पखांजूर ब्लॉक प्रभारी पुष्पलता नायक ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दी, लेकिन पुष्पलता नायक ने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है. जल्द कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में सरकारी कर्मचारी सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही हाल रहा तो सरकार का कुपोषण मुक्त सपना एक सपना ही बनकर रह जाएगा.