छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

भूमकाल दिवस पर कांकेर में रैली, बड़ी संख्या में जुटे आदिवासी समाज के लोग

Tribal society rally in Kanker: शहीद वीर गुंडाधुर के 112वें बलिदान दिवस पर आज आदिवासी समाज की कांकेर जिला मुख्यालय में बड़ी रैली निकाली गई.

Rally in Kanker on Bhukal Diwas
भूमकाल दिवस पर कांकेर में रैली

By

Published : Feb 10, 2022, 2:32 PM IST

Updated : Feb 10, 2022, 11:05 PM IST

कांकेर:जिले में दो महीने से लगातार चल रहे बेचाघाट आंदोलन की आंच अब जिला मुख्यालय तक पहुंच गई है. आज 112वें भूमकाल दिवस के दिन हजारों आदिवासियों ने एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाई. बता दें कि भूमकाल दिवस के मौके पर ट्रकों में सवार होकर कोयलीबेड़ा, पखांजुर के हजारों आदिवासी एकत्रित हुए, जिन्होंने गोविंदपुर से मेला भाठा तक दो किमी पदयात्रा कर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक नगर में हजारों आदिवासियों की भीड़ लगी रही.

भूमकाल दिवस पर कांकेर में रैली

पदयात्रा में शामिल ग्रामीणों की मांग थी कि बस्तर संभाग में सिलगेर हत्याकांड के दोषी अर्द्ध सैनिक बल के जवानों एवं जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही पीड़ित पक्ष को तत्काल मुआवजा भी प्रदान किया जाए. बस्तर में पूर्व में घटित तालमेटला सारकेगुडा, एड्समेटा फर्जी मुटभेड़ में शामिल दोषी जवानों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही कांकेर के बेचाघाट में चल रहे 60 दिनों के आंदोलन की मांग को भी पूर्ण किया जाए. आदिवासी ग्रामीणों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर जंगी रैली निकाली और आमसभा को संबोधित कर डीएम को ज्ञापन सौंपा.

क्या है बेचाघाट आंदोलन
छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले में 60 दिनों से आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. 7 नंवबर 2021 से उत्तर बस्तर कांकेर पखांजुर क्षेत्र के छोटेबिठिया थाना अंतर्गत बेचाघाट में आदिवासी अस्थायी छिंद के पत्तों की झोपड़ी बनाकर आज तक आंदोलन पर बैठे हैं.

छत्तीसगढ़ में खाद संकट पर राजनीति, खाद नहीं मिलने से किसान परेशान

आंदोलनरत ग्रामीणों की ये हैं मांगें

  • सीतराम में पर्यटन स्थल नहीं होना चाहिए.
  • कोटरी नदी पर पुल निर्माण नहीं होना चाहिए.
  • BSF कैंप नहीं लगना चाहिए.
  • आदिवासियों की अलग धर्म कोड की मांग.

जानिये, क्या है भूमकाल दिवस
छत्तीसगढ़ के बस्तर में 112वां भूमकाल स्मृति दिवस मनाया जा रहा है. साल 1910 का महान भूमकाल आंदोलन बस्तर के इतिहास में सबसे प्रभावशाली आंदोलन था. इस विद्रोह ने बस्तर में अंग्रेजी सरकार की नींव हिला दी थी. पूर्ववती राजाओं की नीतियों और सामंतवादी व्यवस्था के कारण बस्तर अंग्रेजों का औपनिवेशिक राज्य बन गया था. बस्तर की भोली-भाली जनता पर अंग्रेजों का दमनकारी शासन चरम पर था. दो सौ साल से विद्रोह की चिंगारी भूमकाल के रूप में विस्फोट हो गई थी.

बस्तर में गुंडाधुर का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. गुंडाधुर आज भी यहां अमर हैं. गुंडाधुर दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत से बस्तर को आजादी दिलाने वाले नायकों की अग्रिम पंक्ति में शामिल हैं. इस महान भूमकालेया आटविक योद्धा गुंडाधुर का शौर्य गीत आज भी बस्तर में गाया जाता है. प्रतिवर्ष 10 फरवरी को भूमकाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Last Updated : Feb 10, 2022, 11:05 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details