कांकेर:जिले में दो महीने से लगातार चल रहे बेचाघाट आंदोलन की आंच अब जिला मुख्यालय तक पहुंच गई है. आज 112वें भूमकाल दिवस के दिन हजारों आदिवासियों ने एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाई. बता दें कि भूमकाल दिवस के मौके पर ट्रकों में सवार होकर कोयलीबेड़ा, पखांजुर के हजारों आदिवासी एकत्रित हुए, जिन्होंने गोविंदपुर से मेला भाठा तक दो किमी पदयात्रा कर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक नगर में हजारों आदिवासियों की भीड़ लगी रही.
पदयात्रा में शामिल ग्रामीणों की मांग थी कि बस्तर संभाग में सिलगेर हत्याकांड के दोषी अर्द्ध सैनिक बल के जवानों एवं जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही पीड़ित पक्ष को तत्काल मुआवजा भी प्रदान किया जाए. बस्तर में पूर्व में घटित तालमेटला सारकेगुडा, एड्समेटा फर्जी मुटभेड़ में शामिल दोषी जवानों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही कांकेर के बेचाघाट में चल रहे 60 दिनों के आंदोलन की मांग को भी पूर्ण किया जाए. आदिवासी ग्रामीणों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर जंगी रैली निकाली और आमसभा को संबोधित कर डीएम को ज्ञापन सौंपा.
क्या है बेचाघाट आंदोलन
छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले में 60 दिनों से आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. 7 नंवबर 2021 से उत्तर बस्तर कांकेर पखांजुर क्षेत्र के छोटेबिठिया थाना अंतर्गत बेचाघाट में आदिवासी अस्थायी छिंद के पत्तों की झोपड़ी बनाकर आज तक आंदोलन पर बैठे हैं.
छत्तीसगढ़ में खाद संकट पर राजनीति, खाद नहीं मिलने से किसान परेशान