कांकेर: 8 विधानसभा सीट वाली कांकेर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. 1996 तक कई चुनावों में कांग्रेस यहां से निर्विरोध जीत हासिल की, लेकिन 1998 में राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसा बदला कि, 1998 के बाद कांग्रेस यहां एक बार भी चुनाव नहीं जीत सकी. बीजेपी यहां लगातार पांच बार से आम चुनाव जीतती आ रही है. 1967 में कांकेर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद यहां तीन चुनाव हुए और तीनों बार यह सीट भाजपा ने ही जीती है.
1980 से लगातार 1996 तक कांग्रेस जीती
1967 में जब कांकेर लोकसभा अस्तित्व में आई, तो सबसे पहले यहां से जन संघ के त्रिलोक लाल प्रियेन्द्र शाह सांसद बने. इसके बाद 1971 में कांग्रेस के अरविंद नेताम यहां से चुनाव जीत कर आये. 1977 में जनता पार्टी ने सीट जीती, इसके बाद 1980 से लगातार 1996 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही. 1998 में कांग्रेस का सफर यहां थम गया और इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया और तब से यह सीट बीजेपी के पास ही है. इस सीट से चार बार बीजेपी के टिकट पर सोहन पोटाई जीतकर आये, इसके बाद 2014 में सोहन पोटाई की टिकट काटकर विक्रम उसेंडी को टिकट दी गई. वर्तमान में विक्रम उसेंडी यहां से सांसद हैं. हालांकि, बीजेपी ने इस बार मैदान में नये चेहरे को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट के लिए प्रदेश के तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए युवा चेहरे पर दांव लगाया है.
सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी की हार