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आपकी लोकसभा: 1998 में कांग्रेस यहां से ऐसे गई कि फिर लौटी नहीं

1967 में कांकेर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद यहां तीन चुनाव हुए और तीनों बार यह सीट भाजपा ने ही जीती है.

कांकेर लोकसभा

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Published : Apr 1, 2019, 5:56 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 9:44 PM IST

कांकेर: 8 विधानसभा सीट वाली कांकेर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. 1996 तक कई चुनावों में कांग्रेस यहां से निर्विरोध जीत हासिल की, लेकिन 1998 में राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसा बदला कि, 1998 के बाद कांग्रेस यहां एक बार भी चुनाव नहीं जीत सकी. बीजेपी यहां लगातार पांच बार से आम चुनाव जीतती आ रही है. 1967 में कांकेर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद यहां तीन चुनाव हुए और तीनों बार यह सीट भाजपा ने ही जीती है.

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1980 से लगातार 1996 तक कांग्रेस जीती
1967 में जब कांकेर लोकसभा अस्तित्व में आई, तो सबसे पहले यहां से जन संघ के त्रिलोक लाल प्रियेन्द्र शाह सांसद बने. इसके बाद 1971 में कांग्रेस के अरविंद नेताम यहां से चुनाव जीत कर आये. 1977 में जनता पार्टी ने सीट जीती, इसके बाद 1980 से लगातार 1996 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही. 1998 में कांग्रेस का सफर यहां थम गया और इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया और तब से यह सीट बीजेपी के पास ही है. इस सीट से चार बार बीजेपी के टिकट पर सोहन पोटाई जीतकर आये, इसके बाद 2014 में सोहन पोटाई की टिकट काटकर विक्रम उसेंडी को टिकट दी गई. वर्तमान में विक्रम उसेंडी यहां से सांसद हैं. हालांकि, बीजेपी ने इस बार मैदान में नये चेहरे को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट के लिए प्रदेश के तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए युवा चेहरे पर दांव लगाया है.

सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी की हार

कांकेर लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां आदिवासी वोटर ही जीत-हार तय करते रहे हैं. कांकेर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले 8 विधानसभा में से 6 सीट कांकेर, केशकाल, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, सिहावा और डौंडी लोहारा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जबकि बालोद और गुंडरदेही सीट सामान्य है. अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सभी आठों विधानसभा सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा है. कांकेर लोकसभा में क्षेत्र में कुल 15 लाख 50 हजार 826 मतदाता हैं.

क्षेत्र में एक भी इंजीनयिरिंग कॉलेज तक नहीं

कांकेर लोकसभा में सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद की है. कांकेर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीट में से 5 घोर नक्सल प्रभावित है. इसके अलावा क्षेत्र में अधिक संख्या में संचालित लौह अयस्क खदानों के कारण यहां से निकलने वाला लाल पानी खेती के जमीन और फसल को बर्बाद कर रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह लोकसभा काफी पिछड़ा हुआ है. पूरे लोकसभा क्षेत्र में एक भी सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल नहीं है. यही हाल शिक्षा का भी है. पूरे लोकसभा क्षेत्र में एक भी इंजीनयिरिंग कॉलेज तक नहीं है.

Last Updated : Apr 17, 2019, 9:44 PM IST

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