कांकेर:नरहरपुर ब्लॉक की हर ग्राम पंचायत की दीवारें आपको स्टडी बोर्ड की तरह नजर आएंगी. कहीं आपको ककहरा लिखा मिलेगा, तो कहीं अंग्रेजी के अल्फाबेट, कहीं बच्चे गणित पढ़ते मिलेंगे तो कहीं फलों के नाम रटते. गांव की गलियों, चौराहों में घरों और स्कूलों की दीवारों पर ज्ञान मिलेगा. कोरोना के मुश्किल वक्त में भी बच्चों की पढ़ाई न छूटने पाए इसके लिए प्रिंट रिच का सहारा लिया गया है. क्या है ये प्रिंट रिच और छात्र-छात्राओं को इससे क्या फायदा हो रहा है देखिए ETV भारत की इस रिपोर्ट में.
नरहरपुर ब्लाक की हर ग्राम पंचायत की दीवारों पर हिन्दी, इंग्लिश, गणित और सामान्य ज्ञान की वॉल पेंटिंग की जा रही है. गलियों और चौराहों से गुजरते बच्चे इसे देख कर पढ़ाई कर रहे हैं. गांव के चौक-चौराहों, दुकानों और सामुदायिक नल पर जहां बच्चे आसानी से पहुंचते हैं, वहां दीवारों पर क ख ग, अंग्रेजी के शब्दों, पहाड़ों के साथ-साथ फलों के नाम लिखे जा रहे हैं. इसका असर भी देखने को मिल रहा है. बच्चों ने ETV भारत से बताया कि वो दीवारें देख कर पढ़ते हैं और उन्हें अच्छा लगता है.
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प्रिंट रिच बना अच्छा ऑप्शन
कोरोना वायरस के संक्रमण ने बच्चों की पढ़ाई पर बहुत असर डाला है. स्कूल, कॉलेज बंद हो गए हैं. एक साल से स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं. ऐसे में शासन ने प्रिंट रिच के जरिए बच्चों का नॉलेज बढ़ाने की पहल की है. संकुल समन्वयक गुप्तेश सलाम ने बताया कि प्रिंट रिच (वॉल पेंट) से बच्चे खेलते-खेलते पढ़ाई से जुड़े रहेंगे. बच्चे अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान की बातें सीखते हैं. प्रिंट रिच के जरिए स्टूडेंट्स की पढ़कर सीखने की क्षमता बढ़ेगी. परिवारवाले और ग्रामीण भी सीख पाएंगे.