कांकेर: बारिश का मौसम आते ही लोगों को दूध नदी का खौफ सताने लगता है. शहर की जीवनदायिनी दूध नदी बारिश के मौसम में विकराल रूप धर लेती है, नदी का आतंक यहां रहने वाले कई बार झेल चुके हैं. 3 साल पहले आई भीषण बाढ़ के बाद प्रशासन ने तटों पर पिचिंग कराने की बात कही थी लेकिन अब तक ये काम पूरा नहीं हो सका है.
प्रशासन की लापरवाही से बारिश का मौसम आने से पहले ही नदी के किनारे वाले वार्डो के निवासियों को डर सताने लगा है कि कहीं फिर दूध नदी ने विकराल रूप दिखाया तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी. नदी के किनारे राजापारा, भंडारीपारा, महादेव वार्ड के साथ-साथ शहर का मुख्य बाजार है, जहां बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता है.
मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है दूध नदी
शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध पहाड़ी नदी है, जो मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है. पहाड़ी नदी होने के कारण यहां पानी काफी तेजी से बढ़ता है, जिसके चलते जब-जब भारी बारिश होती है, नदी का पानी तेज बहाव के साथ बढ़ता है.
1978, 2005, 2013, 2016 में शहर नदी का विकराल रूप देख चुका है. जब नदी का पानी शहर के अंदर घुसा तो मेन मार्केट समेत कई वार्ड डूब गए थे. इस दौरान नदी में भारी कटाव से आकार भी कई जगहों पर बढ़ गया था, जिसे प्रशासन द्वारा पीचिंग कार्य कराकर मरम्मत की बात कही गई थी. लेकिन कार्य न कराए जाने की वजह से यहां के लोग डरे हुए हैं और बारिश का मौसम भी सिर पर है.
चौड़ी होकर बस्ती तक पहुंच चुकी है नदी
सबसे ज्यादा खतरा भण्डारीपरा और महादेव वार्ड के लोगों को है जहां कटाव के बाद नदी चौड़ी होकर बस्ती को छूने लगी है. ऐसे में अगर बाढ़ जैसे हालात बनते है तो ये बस्तियां पूरी तरह पानी मे डूब जाएंगी जिससे जन- धन की हानि का खतरा बना रहता है.