कांकेर: देखभाल की कमी, प्रशासन की लापरवाही और विभाग की लचर व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण परलकोट जलाशय है. जिले की दूसरी सबसे बड़ी और एक वक्त प्रदेश भर में पर्यटन की दृष्टी से देखे जाने वाली परलकोट जलाशय के हलात बेहद खराब है. बांध की टूटी गेट से दिन-रात पानी बर्बाद हो रहा है. जिससे यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है.
परलकोट जलाशय का इतिहास
विभाजन से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने 9717 हेक्टेयर भूमि पर 5 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत से 1966 में सेटेलमेंट के दौरान दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत शुरू की थी. 15 साल तक लगातार कड़ी मेहनत के बाद हजारों मजदूरों ने बनाया था.
वर्ष 1981 में परलकोट जलाशय का उद्घाटन किया गया था. जलाश्य के निचले हिस्से में हजारों हेक्टेयर जमीन पर स्टॉफ क्वार्टर, गार्डन और अस्पताल के साथ उच्च अधिकारियों और नेताओं के लिए विश्राम गृह बनाया गया था. प्राकृतिक सौंदर्य और बनाये गए गार्डन स्टॉफ कॉलोनी और व्यवस्थित सजावट परलकोट क्षेत्र के मनमोहक पर्यटन स्थल था. जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते थे.