कांकेर: छत्तीसगढ़ में बारदाने की कमी और धान का उठाव न होने से किसान परेशान हैं. बस्तर संभाग का कांकेर जिला भी इससे अछूता नहीं है. यहां के दर्जनभर से ज्यादा उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी बंद होने की कगार पर है. जिले के अधिकांश उपार्जन केंद्रों में गिनती के बारदाने बचे हैं, जो कुछ ही दिनों में खत्म होने वाले हैं. हालत ये है कि धान खरीदी के लिए सिर्फ 18 दिन बचे हैं और जिले के करीब 30 फीसदी किसानों ने अब तक धान नहीं बेचा है. बारदानों की कमी और उनकी पूर्ति को लेकर सरकारी फरमान से किसान आक्रोशित हैं.
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सरोना धान खरीदी केंद्र में ETV भारत
ETV भारत ने कांकेर के सरोना धान खरीदी का जायजा लिया. सरोना धान खरीदी केंद्र में धान रखने तक की जगह नहीं बची है. बारदानों की कमी और उठाव नहीं होने के चलते 2 दिनों से बंद धान खरीदी फिर से शुरू तो हुई, लेकिन किसान काफी आक्रोशित नजर आए. एक किसान किशोर भास्कर ने बताया कि केंद्रों में बारदानों की भारी किल्लत है.सरकार 15 रुपए में बारदाने की बात कह रही थी लेकिन वे 40 से 50 रुपए में बारदाना खरीद रहे हैं.
'कहां से लाए बारदाना'
किसान संतु राम कहते हैं कि धान बेचने के लिए काफी परेशानियों
का सामना करना पड़ रहा है. पता नहीं धान बेच पाऊंगा कि नहीं. धान बेचने के लिए खरीदी केंद्र वाले बारदाने की मांग कर रहे है. हम कहां से बारदाने लाएंगे. संतु राम ने कहा कि जब सरकार को बारदाना नहीं मिल रहा तो उन्हें कहां से मिलेगा.
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बारदाने की कमी पर सियासत
बारदाने की कमी को लेकर जिले में सियासत भी गर्म है. एक ओर जहां युवा कांग्रेस सांसद निवास घेरकर बारदाने की कमी का आरोप केंद्र सरकार पर लगा रही है तो वहीं बीजेपी इन सारे मुद्दों को लेकर विधानसभा स्तरीय प्रदर्शन कर रही है. कांकेर लोकसभा के बीजेपी सांसद मोहन मंडावी से ETV भारत ने बात की, तो उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांगेस सरकार घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं कर पा रही है. किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार में किसान कभी इतना परेशान नहीं हुआ.
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'अब सारी व्यवस्था सुचारू'
पूरे मामले को लेकर ETV भारत ने खाद्य अधिकारी टी आर ठाकुर से बात की, उन्होंने कहा कि बीच बीच में खरीदी केंद्रों में थोड़ा धान खरीदी प्रभावित हुई थी, लेकिन अब सब सुचारू है. अधिकरी ने बताया कि जिले में अब तक मिलर्स ने 16 लाख 84 हजार बारदाना दिया है, 10 लाख किसानों ने और पीडीएस का बारदाना 12 लाख 33 हजार है. अब किसान बारदानों की स्वयं व्यवस्था कर रहे हैं. अधिकरी कहते हैं जिले में पिछले साल 91 प्रतिशत धान खरीदी हुई थी पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 21 प्रतिशत ही धान खरीदी बाकी है.
अफसरों का दावा है कि पिछले साल 91 प्रतिशत धान खरीदी हुई थी पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 21 प्रतिशत धान खरीदी बाकी है. हाल यही रहा तो साहब उन किसानों की सोचिए, जिनका धान बारदाने की कमी की वजह से बिकने के इंतजार में हैं. ये तस्वीर कहती हैं दिल्ली हो या छत्तीसगढ़ हाल अन्नदाता का एक सा है.