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जहां स्कूल था, वहां हर्रा प्रसंस्करण केंद्र बनाकर सीएम से उद्धाटन करा दिया

छत्तीसगढ़ सरकार का नारा है 'स्कूल जाबो पढ़े बर, जिंदगी ल गढ़े बर'. लेकिन कांकेर में शिक्षा के मंदिर को प्रोसेसिंग सेंटर में बदल दिया गया है. इसके बदले में यहां पढ़ने वाले 43 बच्चों को दो कमरे मिले हैं.

Harra Processing Center in kanker
हर्रा प्रसंस्करण केंद्र

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Published : Jan 6, 2021, 2:08 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 2:31 PM IST

कांकेर:जिस स्कूल में 40 बच्चे पढ़ने आते थे, उसे जिले के अधिकारियों ने हर्रा प्रसंस्करण केंद्र में तब्दील कर दिया है. जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर इच्छापुर प्राथमिक शाला में पहली से लेकर पांचवीं तक के 43 बच्चे पढ़ते हैं. कोरोना महामारी की वजह से विद्यालय बंद हुआ. अफसरों ने यहीं हर्रा प्रसंस्करण केंद्र खोला और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों ऑनलाइन उद्घाटन करा दिया. अभिभावक इस बात से बेहद नाराज हैं.

स्कूल बना हर्रा प्रसंस्करण केंद्र !

स्कूल की शिक्षिक ने बताया कि साल 1950 में इच्छापुर प्राथमिक पाठशाला की स्थापना की गई थी. पाठशाला में पहली से पांचवीं क्लास तक 43 बच्चे पढ़ते हैं. इसमें 21 लड़के और 22 लड़कियां हैं. स्कूल में तीन शिक्षक हैं. 43 बच्चों को पढ़ने के लिए दो कमरे मिले हैं. वे कहती हैं कि शासन-प्रशासन को जल्द व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कोरोना के बाद जब स्कूल खुलें तो बच्चों को परेशानी न हो.

ग्रामीण कर रहे विरोध
स्कूल को हर्रा प्रसंस्करण केंद्र बनाए जाने के बाद ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चे कहां पढ़ेंगे.

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जानकारी के अनुसार तत्कालीन कलेक्टर ने लिखित में स्कूल को हर्रा प्रसंस्करण केंद्र बनाने के लिए हस्तांतरित किया था. साल 2020 के अगस्त महीने में आदिवासी दिवस के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए इच्छापुर गांव में हर्रा प्रोसेसिंग केंद्र की स्थापना का भूमिपूजन किया था. प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना के लिए आवश्यक अधोसंरचना निर्माण के लिए वन विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए थे.

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नए स्कूल का कराया जाएगा निर्माण
इस बारे में जब मीडिया ने इच्छापुर के सरपंच तेता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इससे संबंधित कोई जानकारी ही नहीं है. अधिकारी आए और स्कूल को हर्रा केंद्र बनाने की बात कहने लगे. उन्होंने कहा कि इस बारे में विचार किया जा रहा है. जल्द ही गांव के बच्चों के लिए नए स्कूल की निर्माण कराया जाएगा.


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क्या है कलेक्टर का कहना?

कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि वन उत्पादों को लेकर भवन सेंक्शन किया गया है. जो स्कूल भवन टूटे-फूटे थे तत्कालीन व्यवस्था के लिए उनको प्रसंस्करण के लिए दिया गया है. बच्चों को तकलीफ न हो इसके लिए व्यवस्था की जा रही है. वन उत्पाद प्रसंस्करण का कार्य भी प्रभावित न हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा है.

Last Updated : Jan 6, 2021, 2:31 PM IST

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