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कांकेर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में कम संसाधनों के साथ जान पर खेल कर जिंदगी बचा रही है ये टीम - rescue children

छत्तीसगढ़ में बारिश के साथ ही बस्तर संभाग के जिलों में बाढ़ की स्थिति बन जाती है. बिगड़े हालातों के बीच 'बाढ़ बचाओ दल' के जवान राहत कार्यों में जुट जाते हैं. कांकेर में नगर सेना (होम गार्ड) अमले के 30 जवानों को विशेष प्रशिक्षण देकर 'बाढ़ बचाओ दल' तैयार किया गया है. होमगार्ड अमले के पास संसाधन की कमी है, लेकिन इस कमी के बीच भी जवान जान दांव पर लगाकर दूसरों की जिंदगी बचा रहे हैं. जवान कहते हैं, अगर कोई बाढ़ में डूब रहा है तो उसकी जान बचाना हमारा कर्तव्य है. (home gaurd are saving life)

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जान पर खेल कर जिंदगी बचा रही है ये टीम

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Published : Jun 24, 2021, 10:44 PM IST

कांकेर: छत्तीसगढ़ में जमकर बारिश हो रही है. जिले में पहली बारिश में ही नदी-नाले लबालब नजर आ रहे हैं. उत्तर बस्तर में स्थित कांकेर जिला चारों ओर से नदियों से घिरा हुआ है. पहाड़ी नदियां होने के कारण अचानक उनका जल स्तर बढ़ जाता है. बरसात के दौरान कई बार यहां हालात बिगड़ते हैं. इन मुश्किल हालात में चुनौतियों का सामना करते हुए 'बाढ़ बचाओ दल' के जवान लोगों को बचाने का काम करते हैं. (home gaurd are saving life) लेकिन जान पर खेल कर जान बचाने वालों के पास खुद की सुरक्षा के इंतजाम होते हैं ? क्या इनके पास कठिन परिस्थियों से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं ? जवाब आपको इस रिपोर्ट में मिलेगा.

कांकेर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में कम संसाधनों के साथ जान पर खेल कर जिंदगी बचा रही है ये टीम

बाढ़ और आपदा से निपटने के लिए जिले में नगर सेना (होम गार्ड) अमले के 30 जवानों को विशेष प्रशिक्षण देकर 'बाढ़ बचाओ दल' तैयार किया गया है. बारिश के मौसम में 24 घंटे 'बाढ़ बचाव दल' राहत कार्यों के लिए अलर्ट पर रहेगा. किसी भी प्रकार के आपदा की सूचना पर टीम तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना होगी. बाढ़ आपदा से निपटने के लिए होमगार्ड अमले के पास संसाधन की कमी है. (nagar sena) संसाधनों की कमी के बीच भी जवान जान दांव पर लगाकर दूसरों की जिंदगी बचा रहे हैं. ( Inspection of flood affected areas)

बाढ़ बचाओ दल

'जान बचाना हमारा कर्तव्य'

ETV भारत ने होम गार्ड के जवानों से बात कर उनकी तैयारियों की जानकारी ली है. बचाव दल में शामिल वीरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि टीम के पास, लाइफ जैकेट, रिंक, बोर्ट, रस्सा की सुविधाएं है. जिनकी मदद से जवान लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं. वीरेंद्र 2019 की घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि पुसवाडा के नदी में 9 बच्चे फंसे हुए थे. सारे बच्चों को रेस्क्यू कर हमने निकाला था. यह सब जोखिम भरा है लेकिन प्रशिक्षण में हम सबने यह सीखा है. वीरेंद्र पिछले दिनों को याद कर कहते हैं कि डर तो हर इंसान को लगता है, लेकिन अगर कोई बाढ़ में डूब रहा है तो उसकी जान बचाना हमारा कर्तव्य है.

मॉक ड्रिल करता बाढ़ बचाओ दल

जवान ने शेयर किया अनुभव

'बाढ़ बचाओ दल' में शामिल होम गार्ड विष्णु पूरी गोस्वामी बताते हैं कि 2019 में नारायणपुर जिले में मेढकी नदी अधिक वर्षा के कारण उफान पर थी. 3 लोग मछली पकड़ने गए थे. तीनों ही नदी में फंस गए थे. नदी एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरती है. बीएसएफ के सहयोग से ग्रामीणों को रेस्क्यू किया गया था. करीब 10 किलोमीटर पैदल चल कर बोट को पहुंचाया गया था. तीनों ही ग्रामीणों को बड़ी मुश्किल से बचा लिया गया था.

बांध में मॉक ड्रिल करता बाढ़ बचाओ दल

संसाधनों की कमी के बावजूद बचा रहे लोगों की जान

कांकेर जिले के कई इलाके लगभग हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं. बावजूद इसके बचाव कार्य के अनुरूप बचाव दल के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाढ़ आपदा से निपटने के लिए तैनात 30 जवानों के टीम के पास 26 लाइफ जैकेट है. उनके पास मात्र 3 मोटर बोट हैं. कुछ रस्से और रेन कोट उपलब्ध हैं. लेकिन जवान कार्य से पीछे नहीं हट रहे हैं. (kanker flood affected areas )

संसाधन संख्या
लाइफ जैकेट 26
लाइफ बॉय जैकेट 42
ड्रेगन टॉर्च 8
मोटर बोट 3

बढ़ाए गए हैं संसाधन: नोडल अधिकारी

बाढ़ आपदा से निपटने के लिए बनाई गई टीम के नोडल अधिकारी डिस्ट्रिक कमांडेंट पुष्प राज सिंह ने बताया कि संसाधनों को बढ़ाने की कवायद जारी है. पिछले साल की तुलना में हमारे पास इस साल संसाधन बढ़े हैं. हमारे पास इस साल 18 नए लाइफ जैकेट आए हैं.

आपदा के दौरान बाढ़ बचाओ दल

कांकेर के 66 गांव बाढ़ प्रभावित

कांकेर जिले के 66 ऐसे गांव हैं जिन्हें बाढ़ प्रभावित के रूप में चिन्हित किया गया है. (Flood affected 66 villages of Kanker) जिले में मानसून के पहुंचते ही नगर सैनिकों ने आपात स्थिति में बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने दुधावा बांध में तीन दिनों तक अभ्यास किया. नगर सेना में 30 प्रशिक्षित गोताखोर हैं, जो हमेशा बाढ़ में फंसे लोगों को मदद पहुंचाने तैयार रहते हैं. जिले में 36 पहुंच विहीन ग्राम भी हैं, जो बारिश के दिनों में टापू बन जाते हैं. क्योंकि वहां तक पहुंचने रास्ता नहीं होता है. कांकेर शहर से गुजरी दूध नदी भी अक्सर अपना रौद्र रूप दिखाती है. नदी से सटे मनकेशरी ग्राम पंचायत के अलावा नगर के भण्डारीपारा, महादेव वार्ड, सुभाष वार्ड, अन्नपूर्णा पारा, राजापारा, महात्मा गांधी वार्ड, शांति नगर को भी बाढ़ प्रभावित के रूप में चिन्हित किया गया है. (flood situation in kanker)

मॉक ड्रिल करता बाढ़ बचाओ दल
  • कांकेर जिला मुख्यालय के करीब चिनार नदी में - 3 गांव
  • नरहरपुर विकासखण्ड में महानदी से 12 गांव प्रभावित हैं
  • चारामा विकासखण्ड में महानदी से 12 गांव प्रभावित
  • भानुप्रतापुर विकासखण्ड में खंडी नदी से 9 गांव प्रभावित
  • पखांजूर विकासखण्ड में कोटरी नदी से 5 गांव प्रभावित
  • दुर्गु कोंडाल विकासखण्ड में खंडी नदी से 4 गांव प्रभावित
  • अन्तागढ़ विकासखण्ड में मेढकी नदी से 11 गांव प्रभावित

कलेक्टर चंदन कुमार ने वर्षा ऋतु को देखते हुए बाढ़ और आपदा से बचाव के लिए पूरी तैयारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है. कलेक्ट्रेट में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैराक दल की व्यवस्था रखने और उनका मोबाईल नंबर जारी करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने राजस्व अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर प्रतिवेदन जिला कार्यालय के आपदा प्रबंधन शाखा में प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है.

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