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बापू की पुण्‍यतिथि: कांकेर विधायक के निवास पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73वीं पुण्यतिथि के मौके पर कांकेर में जिला कांग्रेस कमेटी ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी, अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई समेत बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे.

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Published : Jan 30, 2021, 4:01 PM IST

Mahatma Gandhi 73rd death anniversary
महात्‍मा गांधी की 73वीं पुण्‍यतिथि

कांकेर:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 73वीं पुण्यतिथि है. जिला कांग्रेस कमेटी ने आज विधायक निवास में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित की गई. इस दौरान संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी ने कहा कि गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक है.

शिशुपाल शोरी ने कहा कि गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के बल पर देश को आजाद कराया. गांधी जी के अहिंसा वादी विचार ने देश के सभी वर्गों को जोड़कर देश के नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया. गांधी जी का आजादी का मुख्य सिद्धांत अंहिसा पर ही आधारित था. उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में गांधी जी के विचारों को कुछ राजनीतिक तत्व झूठलाने की कोशिश में लगे हैं. उन्होंने कहा कि गांधी जी के आदर्श और सिद्धांत सदैव पथ प्रदर्शक रहेगा.

पढ़ें: महात्‍मा गांधी की 73वीं पुण्‍यतिथि: सीएम-राज्यपाल समेत दिग्गजों ने किया बापू को नमन

गांधीजी के आंदोलन को किया याद

शिशुपाल शोरी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गांधी जी के सपने को साकार करने की कोशिश की जा रही है. अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने कहा कि गांधी जी ने देश में छुआ-छूत की भावना को समाप्त कर अछूतों को मंदिर में प्रवेश कराया. इसके साथ ही नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन चलाकर देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने छत्तीसगढ़ के कंडेल और चंपारण में भी यात्रा की और छत्तीसगढ़ के स्वत्रंता संग्राम सेनानियों को देश की आजादी से जोड़ा.

कैसे हुई थी महात्मा गांधी की हत्या?

30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे. उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोली से छलनी कर दिया था. नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या की साजिश की पटकथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रची थी. गांधी की हत्या करने में गोडसे की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परचित गंगाधर दंडवत ने की. ग्वालियर में शिंदे की छावनी वो जगह थी, जहां से पिस्टल खरीदी गई थी और यहीं पर नाथूराम को महात्मा गांधी की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली. जब नाथूराम गोडसे ने बंदूक चलाने का प्रशिक्षण ले लिया, तो उसके बाद 29 जनवरी की सुबह वो ग्वालियर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया.

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