कांकेर : भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज सुबह मुंबई के कैंब्रिज हॉस्पिटल में निधन हो गया. उनके निधन से हिंदी सिनेमा में एक युग का समापन हो गया. लता जी का जाना देश के लिए बड़ी क्षति है. उनके निधन पर दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है. छत्तीसगढ़ से लता जी का गहरा नाता रहा है. छत्तीसगढ़ के कांकेर से लता जी के साथ समय बिताने वाली अनुराग चौहान से ETV भारत ने छत्तीसगढ़ के कांकेर की सुप्रसिद्ध गायिका अनुराग चौहान से खास बात की. स्वर कोकिला के निधन की खबर सुनते ही उनकी आंखों से आंसू छलक गए.
कभी लता जी को परोसा था खाना, आज टीवी पर अंतिम विदाई देख नहीं थम रहे आंसू : अनुराग
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन पूरे देश के लिए (Lata Mangeshkar death an irreparable loss to the entire country) अपूरणीय क्षति है. छत्तीसगढ़ से उनका अलग ही नाता रहा है. उनके निधन की खबरें सुन कर उनके साथ समय बिता चुकीं कांकेर की सुप्रसिद्ध गायिका अनुराग ठाकुर ने अपने अनुभव शेयर किये...
1982 में अनुराग चौहान की लता मंगेशकर से हुई थी मुलाकात, खैरागढ़ में अपने हाथों खिलाया था खाना
बकौल अनुराग चौहान 'मैं खैरागढ़ यूनिवर्सिटी में कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी. एमए फाइनल की छात्रा थी. उसी समय वहां दीक्षांत समारोह हुआ था. समारोह में लता जी को बुलाया गया था. उन्हें भोजन परोसने का दायित्व मुझे ही सौंपा गया था. भोजन परोसने के दौरान घंटे भर उनके साथ समय बिताने का सौभाग्य मिला था. इसी दौरान लता जी से बात हुई "मैंने बोला दही लेंगी क्या? क्या खाएंगी क्या नहीं खाएंगी?
तो उन्होंने कहा था कि आपकी रसोई में जो भी बना है, वो सब मुझे परोसना". लता जी ने कहा था, दीदी ये नहीं खाएंगी-वो नहीं खाएंगी ऐसा मत सोचना. मैं सब खाती हूं. कोई परहेज नहीं करती" ये संक्षेप बात लता दीदी से हुई थी, जो मेरे जीवन के लिए बहुत ही अमूल्य रहा. अनुराग ने कहा कि उनका निधन संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है. लता जी मां सरस्वती की अवतार थीं. उनका यूं चला जाना पूरे राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है.
उनका नाम कभी खत्म नहीं हो सकता : अनुराग
अनुराग ने आगे बताया कि ने लता जी के गाने रेडियो में सुन-सुनकर मैं गाया करती थी. उनके साथ उन दिनों में शाम तक का समय बिताई थी. आज उनके निधन की खबरें देख के मेरी आंखें नम हो रही हैं. लता जी देश की अमूल्य धरोहर थीं. मैंने किसी से सुना था कि पाकिस्तान ने कहा था लता जी हमें दे दीजिए, हम कश्मीर लेने का नाम नहीं लेंगे" वो क्या थीं, आप खुद सोच सकते हैं. लता दीदी तो चली गईं, उनके एक गाने का बोल था 'नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा. लेकिन मैं ये नहीं मानती, उनका नाम कभी खत्म नहीं हो सकता.