कांकेर:जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर धुर नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा क्षेत्र के 85 गांव के लोग, जिस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अपने इलाज के लिए निर्भर हैं. वह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इतने बड़े क्षेत्र की जिम्मेदारी जिस अस्पताल पर है, उस पर शासन-प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है. 85 गांवों की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभालने वाला यह स्वास्थ्य केंद्र आज भी 10 बिस्तर वाला ही है. यहां डॉक्टर्स की भी कमी है. अस्पताल में एक ही डॉक्टर है, जिसकी वजह से 24 घंटे अकेले ड्यूटी निभानी पड़ रही है.
जानकारी के मुताबिक आमाबेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सितंबर 2019 तक दो डॉक्टर पदस्थ थे. इस बीच एक डॉक्टर का तबादला बस्तर जिले में हो गया, जिनके स्थान पर कोई नियुक्ति नहीं की गई. ऐसे में एक मात्र डॉक्टर यहां बच गए हैं, जिन्हें हर वक्त स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले मरीजों पर नजर रखनी पड़ रही है. एक और डॉक्टर यहां है लेकिन वो होम्योपैथी के हैं, जिसकी वजह से मरीजों के देखभाल के लिए अकेले पड़ गए हैं.
9 माह से परिवार से नहीं मिला डॉक्टर
9 माह से नहीं मिल सके परिवार से आमाबेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर ने बताया कि 'सितंबर माह में जब से उनके सहयोगी डॉक्टर का तबादला हुआ है. तब से वह अपने घर नहीं लौटे हैं. उन्होंने कहा कि इन दिनों कोरोना के कारण जो हालात बने हैं, उसके कारण वो अपना फर्ज समझते हैं. परिवार से पहले अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं.
94 लोग होम आइसलोशन में रखे गए
94 लोग होम आइसलोशन में रखे गए आमाबेड़ा क्षेत्र के गांव के ऐसे लोग जो दूसरे राज्यों में कार्य करने गए हुए थे. ऐसे 94 लोगों को होम आइसलोशन में रखा गया है. साथ ही उनके घर के आस-पास के 50 मीटर तक के सभी घरों के लोगों को सतकर्ता बरतने के निर्देश भी दिए गए हैं, डॉक्टर्स ने बताया कि आमाबेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत जितने उप स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, वहां के सभी स्टाफ गांव-गांव में जाकर कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक कर रहे हैं.
दोनों संजीवनी वाहन बीमार