कांकेर: गुरुवार 9 फरवरी को कांकेर के कोरर थाना अंतर्गत स्कूल की छुट्टी होने के बाद 8 बच्चे एक ऑटो में सवार होकर अपने घर जा रहे थे. इस दौरान आयुष केंद्र कोरर के पास तेज रफ्तार ट्रक ने ऑटो को जोरदार टक्कर मार दी. हादसा इतना भयावह था कि ऑटो के परखच्चे उड़ गए. घटनास्थल पर ही दो बच्चों की मौत हो गई. बाकी 5 बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. एक बच्चे को गंभीर हालत में रायपुर रेफर किया गया था. लेकिन आज मंगलवार को उसने भी दम तोड़ दिया.
"बीती रात बच्चे का बीपी हाई हो गया था":डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय की जनसंपर्क अधिकारी शुभ्रा सिंह ने बताया कि "बच्चे को बहुत जगह इंज्यूरी थी. मल्टीपल इंज्यूरी होने के कारण बच्चे को सांस लेने में लगातार दिक्कत हो रही थी. 2 दिनों तक उसका इलाज बहुत अच्छा चला. 2 दिन में ऐसा लग रहा था मानों बच्चा बच जाएगा. हॉस्पिटल का हर स्टाफ व्यक्तिगत रूप से उस बच्चे के लिए दुआ कर रहा था कि वह जल्दी से ठीक हो जाए. लेकिन अचानक कल रात उसका बीपी इतना हाई हो गया कि डॉक्टरों की टीम के लिए उसे बचा पाना मुश्किल हो गया. बच्चे को बीती रात मेकाहारा अस्पताल से डीकेएस अस्पताल में भर्ती किया गया था और उसी अस्पताल में उसने आखिरी सांस ली."
शुक्रवार 10 फरवरी को को आरोपी ट्रक ड्राइवर हुआ गिरफ्तार:ऑटो को जोरदार टक्कर मारने के बाद आरोपी ट्रक ड्राइवर दीपक साहू फरार हो गया था और कांकेर में ही छिपा हुआ था. सीसीटीवी की मदद से पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया. आरोपी दीपक बेमेतरा जिले के मारो नांदघाट गांव का रहने वाला है. हादसे से पहले वो ट्रक से सीमेंट खाली करके वापस लौट रहा था.तभी रास्ते में कोरर में उसने स्कूली बच्चों से भरे ऑटो को जोरदार टक्कर मार दी.
Korar accident कोरार हादसे के बाद एक्शन में यातायात विभाग, स्कूली बसों, ऑटो पर कार्रवाई
यातायात विभाग ने शुरू की जांच:दर्दनाककोरार हादसे के बाद यातायात विभाग अलर्ट हो गया. सोमवार को नरहरपुर के स्कूलों के आसपास सुबह से ही यातायात विभाग और आरटीओ ने चालानी कार्रवाई की. कई ऑटोवालों पर क्षमता से ज्यादा लोगों के बैठाने के मामले में कार्रवाई की गई. चालान भी काटा गया. जांच के दौरान 5 बसें सुरक्षा मानकों के अनुकूल नहीं पाई गई. जिसके बाद संचालकों को जल्द से जल्द सुधारने के निर्देश दिए गए. 3 बसों को जब्त भी किया गया. स्कूल के आसपास नाबालिग बच्चे भी बड़ी संख्या में गाड़ी चलाते मिले. इस पर उनके माता पिता को मौके पर बुलाकर उनसे फाइन लिया और बच्चों के लाइसेंस बनने तक गाड़ी नहीं देने की समझाइश दी गई.